डॉ. अंबेडकर इसे छुट्टी घोषित करने के बजाए लोगों से अतिरिक्त काम करने के लिए कहते, मद्रास हाईकोर्ट ने अंबेडकर जयंती अवकाश पर कहा

Update: 2023-04-16 09:45 GMT

Madras High Court,Madurai bench

मद्रास हाईकोर्ट ने छुट्टी के दिन किए गए काम के लिए मजदूरी के लाभ की मांग करते हुए कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर एम्प्लॉइज यूनियन की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लोक सेवक स्कूली बच्चों की तरह हैं जो हमेशा छुट्टियों और काम से छूट का स्वागत करते हैं। अदालत घोषित अवकाश (अंबेडकर जयंती) पर काम करने के लिए दोगुने वेतन का दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

मदुरै खंडपीठ के जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने कहा कि हालांकि डॉ. अंबेडकर ऐसे व्यक्ति थे जो चाहते थे कि लोग उनकी जयंती पर छुट्टी घोषित करने के बजाय कड़ी मेहनत करें और यह भावनाओं और प्रतीकों की एक प्रणाली प्रचलित है।

‘‘भारत रत्न श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की तरह, उन्होंने भी कहा होता ‘‘मेरी मृत्यु पर छुट्टी की घोषणा मत करो, इसके बजाय एक अतिरिक्त दिन काम करो, अगर तुम मुझसे प्यार करते हो।’’ हालांकि, हम भावनाओं और प्रतीकों को स्वीकार करते हैं। दक्षता के बजाय शिष्टाचार हमारी पहचान है। जब भी दिवंगत न्यायाधीशों की स्मृति में संदर्भ होते हैं, तो दोपहर 03.15 बजे कोर्ट की घंटी बजेगी। दोपहर 03.45 बजे समारोह का समापन होगा। दिवंगत आत्मा के सम्मान के प्रतीक के रूप में माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा शेष दिन के लिए न्यायालय के कार्य को स्थगित करने की सत्यनिष्ठा से घोषणा की जाती है। जब विदाई समारोह का आयोजन किया जाता है तो भी 90 मिनट के कार्य समय का इसी तरह नुकसान होता है। सरकारी कर्मचारी स्कूली बच्चों की तरह होते हैं। छुट्टियों का अनुदान और काम से छूट का हमेशा स्वागत करते हैं।’’

ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने 2018 में अंबेडकर जयंती पर काम करने वाले ‘राउंड-द-क्लॉक शिफ्ट वर्कर्स’ के लिए दोगुने वेतन का दावा करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जो दूसरे शनिवार को पड़ा था। प्रबंधन ने उनके दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि चूंकि कर्मचारियों को छुट्टी के दिन काम करने का लाभ पहले ही दिया जा चुका है, इसलिए उन्हें दोहरा लाभ नहीं दिया जा सकता है।

तमिलनाडु औद्योगिक प्रतिष्ठान (राष्ट्रीय और त्यौहार अवकाश) अधिनियम, 1958 की धारा 5(2)(बी) का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहाः

‘‘पूर्वाेक्त वैधानिक प्रावधान का एक सादा पठन किसी को भी इस निष्कर्ष पर ले जाएगा कि कर्मचारी को प्रावधान द्वारा प्रदत्त लाभ का दावा करने के लिए छुट्टी/अवकाश पर काम करना होगा। नियोजित अभिव्यक्ति ‘‘कोई भी छुट्टी’’ है। इसका मतलब केवल यह है कि संबंधित दिन कार्य दिवस होना चाहिए, लेकिन इसे अवकाश के रूप में घोषित किया गया है। यदि यह पहले से ही अवकाश है, तो दोहरे लाभ का दावा करने के लिए उपरोक्त प्रावधान को लागू नहीं किया जा सकता है। यदि किसी कर्मचारी ने अधिनियम की धारा 3 के तहत अनुमत किसी भी अवकाश पर काम किया है, तो वह प्रावधान में निर्धारित लाभ का हकदार है।’’

सुनवाई के दौरान, अदालत को बताया गया कि ‘राउंड-द-क्लॉक शिफ्ट वर्कर्स’ दोहरा लाभ नहीं मांग रहे हैं, बल्कि केवल 1958 के अधिनियम की धारा 5(2)(बी) के अनुसार लाभ चाहते हैं। पीठ ने कहा कि जहां तक ‘राउंड-द-क्लॉक शिफ्ट वर्कर्स’ का सवाल है तो दूसरे शनिवार की कोई अवधारणा नहीं है।

यह भी कहा कि,‘‘14 अप्रैल 2018 केवल डॉ. अम्बेडकर जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने के कारण अवकाश बन गया। कोई भी ‘राउंड-द-क्लॉक शिफ्ट वर्कर्स’ जिसने 14 अप्रैल 2018 को काम किया था, वो अधिनियम की धारा 5 2)(बी) में निर्धारित लाभ का हकदार होगा। जहां तक ऐसे श्रमिकों का संबंध है, यह छुट्टी के दिन पड़ने वाली छुट्टी के दिन काम करने का मामला नहीं था।’’

अदालत ने इस प्रकार कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट के साइट निदेशक को निर्देश दिया है कि वे श्रमिकों को तदनुसार मौद्रिक लाभ प्रदान करें।

केस टाइटल-कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर एम्प्लाइज यूनियन बनाम भारत सरकार व अन्य

साइटेशन- 2023 लाइवलॉ एमएडी 118

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