अगले आदेश तक राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का विकल्प न चुनने वाले राज्य कर्मचारियों का वेतन न रोकें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से कहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक वह कर्मचारियों का वेतन केवल इस आधार पर नहीं रोकेगा कि उन्होंने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का विकल्प नहीं चुना है।
जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ ने मंगलवार को कुछ राज्य कर्मचारियों (योगेंद्र कुमार सागर और अन्य) द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना खिलाफ दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
जिन याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का विकल्प नहीं चुना है, उन्होंने यह कहते हुए न्यायालय का रुख किया कि यूपी सरकार ने 16 दिसंबर, 2022 को एक आदेश जारी किया है, जिसमें खंड 3(V) के आधार पर यह प्रावधान किया गया है कि जो कर्मचारी ऐसा करते हैं राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का विकल्प नहीं चुनते हैं और PRAN के तहत अपना पंजीकरण नहीं करवाते हैं, वे वेतन के हकदार नहीं होंगे।
याचिकाकर्ताओं का यह मामला है कि जिस रूप में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की परिकल्पना की गई है, उसे कर्मचारियों के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है और किसी भी मामले में उनका वेतन केवल इसलिए नहीं रोका जा सकता है कि वे राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का विकल्प चुनने को तैयार नहीं हैं।
यह देखते हुए कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है, और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए, अदालत ने उनसे 6 सप्ताह में जवाब मांगा।
कोर्ट ने आदेश में कहा,
"अगले आदेश तक, याचिकाकर्ताओं का वेतन केवल इस आधार पर नहीं रोका जाएगा कि उन्होंने 16.12.2022 के सरकारी आदेश के खंड 3(V) के संदर्भ में PRAN के तहत पंजीकरण का विकल्प नहीं चुना है,"
केस टाइटल- योगेंद्र कुमार सागर व अन्य बनाम यूपी राज्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग लखनऊ के माध्यम से, और अन्य [WRIT - A No. - 8966 of 2022]