ऐसी रिट याचिका रजिस्टर्ड न करें जो विशिष्ट आधार पर न हो : बॉम्बे हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री से कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को कोई रिट याचिका तब तक दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया, जब तक कि वह विशिष्ट आधार निर्धारित न करे। इस संबंध में कोई चूक देखने पर विभाग को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
औरंगाबाद बेंच में बैठे चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एनबी सूर्यवंशी की खंडपीठ ने निर्देश दिया,
"रजिस्ट्री यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में कोई रिट याचिका तब तक दर्ज नहीं की जाए जब तक कि उसमें विशिष्ट आधार निर्धारित न हो, जिस पर रिट याचिका को स्थानांतरित किया जाता है। इस संबंध में किसी भी चूक को सख्ती से देखा जाएगा।"
पीठ को इस सप्ताह की शुरुआत में सुनवाई के दौरान याचिका का पता चला। अदालत ने याचिका पर गौर करने के बाद पाया कि इसमें अलग पैराग्राफ नहीं है, जिसमें वह आधार हो जिस आधार पर याचिकाकर्ता द्वारा राहत मांगी जा रही है। पीठ ने तब कहा कि यह बॉम्बे हाईकोर्ट अपीलीय पक्ष नियम, 1960 के अध्याय XVII के नियम एक के अनुसार अनिवार्य है।
संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के नियम के तहत रिट निर्देश आदि जारी करने के लिए आवेदनों के बारे में उल्लेख करता है। यह नियम कहता है- संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत निर्देश, आदेश या रिट जारी करने के लिए प्रत्येक आवेदन विवाद में मामला ग्रेटर बॉम्बे के बाहर काफी हद तक उत्पन्न हुआ है।
आवेदन में मांगी गई राहत और जिन आधारों पर इसे मांगा गया है, उन्हें इसमें वर्णित किया जाए। इसकी पुष्टि की जानी चाहिए या एक हलफनामे द्वारा समर्थित होना चाहिए। ऐसे प्रत्येक आवेदन में आवेदक को यह बताना होगा कि क्या उसने उसी मामले के संबंध में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में कोई अन्य आवेदन किया है और उस आवेदन का निपटारा कैसे किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने हालांकि, 14 फरवरी को कार्रवाई के उसी कारण पर एक नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की मांग की। पीठ ने मांग के अनुसार याचिका पुन: दायर करने की स्वतंत्रता की अनुमति दी, लेकिन याचिका में कमी देखी और इसलिए उक्त निर्देश जारी किया।
केस शीर्षक: अंभिका मगसवर्गीय मस्त्यवैवासिक सहकारी संस्था मर्यादित, जूनुनवाड़ी बनाम महाराष्ट्र राज्य
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (बीओएम) 41
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