"राजनीति में इतना संवेदनशील होने की ज़रूरत नहीं": दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा विधायक के खिलाफ कैलाश गहलोत की मानहानि याचिका में एकल न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

Update: 2021-09-07 06:51 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एकल न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत द्वारा भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ 1,000 लो फ्लोर बसों के ऑर्डर और रखरखाव को लेकर कथित रूप तौर अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत द्वारा दायर एक दीवानी मानहानि के मुकदमे में एक-पक्षीय निषेधाज्ञा देने से इनकार कर दिया गया।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह को विजेंद्र गुप्ता की ओर से पेश वकील ने मौखिक आश्वासन दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख 20 सितंबर तक इस मुद्दे पर कोई प्रेस बयान या ट्वीट नहीं करेंगे।

न्यायमूर्ति सांघी ने मामले में कैलाश गहलोत की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नैय्यर से कहा,

"राजनीति में आपको (गहलोत) इसके बारे में इतना संवेदनशील होने की जरूरत नहीं है।"

न्यायालय 27 अगस्त, 2021 को न्यायमूर्ति आशा मेनन द्वारा पारित एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील से निपट रहा था, जिसमें अदालत ने गुप्ता को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गहलोत के बारे में मानहानिकारक आरोप लगाने से रोकने के लिए किसी भी एक पक्षीय निषेधाज्ञा को पारित करने से इनकार कर दिया था।

न्यायाधीश का विचार था कि प्रथम दृष्टया गहलोत के खिलाफ विशेष रूप से इस हद तक कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाया गया था कि पूरा लेनदेन एक घोटाला प्रतीत होता है।

यह गहलोत का मामला है कि गुप्ता ने बिना किसी उचित कारण के इस साल मार्च से ट्वीट, फेसबुक पोस्ट और प्रेस विज्ञप्ति के रूप में निंदनीय और अपमानजनक सामग्री पोस्ट करके उन्हें बदनाम किया।

गुप्ता ने आरोप लगाया कि गहलोत ने टाटा मोटर्स और जेबीएम ऑटो लिमिटेड को डीटीसी बसों के रखरखाव के लिए निविदा देने में भ्रष्टाचार किया और वे निविदा के पूरे नियम और शर्तों से अवगत थे, हालांकि, उन्होंने इसके बाद ही उक्त निविदा देने के बाद ही उस पर आपत्ति जताई है।

इसके बाद गहलोत ने उन्हें बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए गुप्ता के खिलाफ मानहानि का दीवानी मुकदमा दायर कर 5 करोड़ हर्जाना मांगा। इसके अलावा ट्विटर और फेसबुक पर उनके खिलाफ किए गए सभी मानहानिकारक पोस्ट को तुरंत हटाने के लिए भी अनिवार्य निषेधाज्ञा मांगी।

अब मामले की सुनवाई 20 सितंबर को होगी।

केस का शीर्षक: कैलाश गहलोत बनाम विजेंदर गुप्ता एंड अन्य।

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