वकील का डोली समारोह रुका रहा, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नवविवाहित वकील की प्रतिबद्धता की सराहना की और उनके मुवक्किल को जमानत दी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार (28 अक्टूबर) को अपने मुवक्किल के प्रति एक वकील की निष्ठा और प्रतिबद्धता की सराहना की, क्योंंकि उस वकील ने अपना डोली समारोह रुकवाकर कोर्ट में सुनवाई के लिए अपनी बारी का लंबा इंतजार किया।
न्यायमूर्ति अरुण मोगा ने अभियोजन पक्ष द्वारा चालान फाइल करने में अत्यधिक देरी के आधार पर संबंधित वकील के मुवक्किल /याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली।
इसके अलावा, बेंच ने उस वकील के निवेदन को भी रिकॉर्ड में दर्ज किया कि किस तरह उसके मुवक्किल के केस के लिए उसकी डोली रुकी रही क्योंंकि उसने (वकील ने) अपने मुवक्किल के व्यापक हितों का ध्यान रखते हुए वीडियो कॉन्फ्रंसिंग के लिए अपनी बारी के वास्ते लंबा इंतजार किया।
अभियुक्त / याचिकाकर्ता का मामला यह था कि प्राथमिकी दर्ज होने के एक वर्ष पांच महीने बीत जाने के बाद भी आज तक चालान नहीं फाइल किया गया था, जबकि याचिकाकर्ता की हिरासत की कथित तौर पर जरूरत थी। इसलिए याचिकाकर्ता डिफॉल्ट बेल का हकदार था।
चालान जमा कराने में देरी के बारे में कोर्ट द्वारा पूछे जाने पर राज्य सरकार के वकील ने इस बारे में दिशानिर्देश के लिए मामले की सुनवाई स्थगित करने की मांग की।
इसे लेकर अभियुक्त/ याचिकाकर्ता के वकील ने सरकारी वकील द्वारा मामले की सुनवाई टालने के आग्रह पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि ' वह सुबह से ही इस मामले की सुनवाई के लिए बैठे इंतज़ार करते रहे हैं।'
जस्टिस अरुण मोगा ने अपने आदेश में लिखा, '' वकील की शादी कल रात हुई थी और वह अपने डोली समारोह को छोड़कर सुबह से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की बारी के लिए बैठे रहे ताकि वह अपने मुवक्किल के व्यापक हित सुरक्षित रख सकें। यह कोर्ट उनके (वकील के) बेहतरीन एवम् आनंदमय वैवाहिक जीवन की कामना करता है।''
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा,
"अभियोजन पक्ष की ओर से चालान फाइल करने में अत्यधिक विलम्ब को ध्यान में रखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि इस चरण में याचिकाकर्ता को अंतरिम अग्रिम जमानत दिए जाने का यह उचित मामला है।"
इस बीच, याचिकाकर्ता को यह दिशानिर्देश दिया जाता है कि वह जांच अधिकारी के समक्ष पेश हों और जांच में शामिल हों।
इसके साथ ही मामले की सुनवाई 15 दिसंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी गई।