'जांच में तेजी लाने के लिए "हर संभव प्रयास" किए जा रहे हैं': लॉ स्टूडेंट रेप केस में राज्य ने कलकत्ता हाईकोर्ट को बताया

Update: 2025-07-03 08:01 GMT

पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट को बताया कि वह साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में कथित बलात्कार की घटना की जांच समय पर करने और उसे पूरा करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।

राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कल्याण बंदोपाध्याय ने जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस स्मिता दास डे की खंडपीठ को आश्वासन दिया कि सरकार जांच का समय पर समाधान सुनिश्चित करने के लिए "हरसंभव प्रयास" कर रही है।

उन्होंने कहा,

"मैं आपको यही आश्वासन दे रहा हूं। यह मेरा निजी रुख है...मैं कोर्ट के प्रति अपना कर्तव्य निभाता हूं। मैंने जांच पर एसओपी तत्काल जारी करने के लिए कहा है।"

सीनियर एडवोकेट की दलीलों पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें पीड़िता की शिकायत की जांच में उठाए गए कदमों का ब्यौरा हो। साथ ही कॉलेज परिसर में मामले में आरोपी एक पूर्व छात्र की मौजूदगी के बारे में भी बताया जाए।

यह घटनाक्रम कॉलेज ग्राउंड में स्टूडेंट के साथ हुए बलात्कार की स्वतंत्र, न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका के संदर्भ में सामने आया।

याचिका में कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या के बाद इस घटना के मद्देनजर कॉलेज परिसरों में सुरक्षा उपाय बढ़ाने की भी मांग की गई।

पक्षकारों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और राज्य को अपना जवाब-शपथपत्र दाखिल करने के लिए कुछ समय दिया।

शिकायतकर्ता ने दो सहपाठियों और वकील सहित तीन आरोपियों का नाम लिया, जिन्होंने आरोप लगाया कि 25 जून को, जब वह किसी शैक्षणिक कार्य के लिए परिसर में गई थी तो उसे जबरदस्ती कॉलेज भवन में कई स्थानों पर ले जाया गया और अंत में गार्ड के कमरे में ले जाया गया, जहां उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया।

पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने इस कृत्य का वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे धमकी दी थी कि वह अपने साथ हुए हमले के बारे में किसी को न बताए।

शिकायत दर्ज होने के अगले दिन कोलकाता पुलिस ने तीनों आरोपियों के साथ-साथ उस गार्ड को भी गिरफ्तार कर लिया, जिसके कमरे में कथित तौर पर हमला किया गया था।

कोलकाता कोर्ट ने आरोपी को पुलिस हिरासत में भेजने की अनुमति दी।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने मामले की जांच के लिए सहायक पुलिस आयुक्त के नेतृत्व में 9 सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन भी किया है।

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