"COVID-19 वैक्सीनेशन के लिए केवल आईडी प्रूफ के रूप में आधार कार्ड पेश करने पर जोर न दें, अन्य मान्यता प्राप्त विकल्प उपलब्ध हैं": मेघालय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

Update: 2021-09-01 11:59 GMT

मेघालय हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह COVID-19 वैक्सीनेशन के लिए केवल आईडी प्रूफ के रूप में आधार कार्ड पेश करने पर जोर न दें, अन्य मान्यता प्राप्त विकल्प उपलब्ध हैं।

मुख्य न्यायाधीश विश्वनाथ सोमददर और न्यायमूर्ति एच.एस. थांगख्यू ने तर्क दिया कि इस देश के नागरिक के पास अपनी पहचान का प्रमाण दिखाने के लिए अन्य मान्यता प्राप्त विकल्प उपलब्ध हैं।

पीठ ने कहा,

"मेघालय राज्य के कुछ स्थानों में और विशेष रूप से दूरदराज के गांवों में, ऐसे पात्र व्यक्ति हैं जिन्हें केवल इसलिए टीका नहीं लगाया गया क्योंकि उनके पास आधार कार्ड नहीं है। हम राज्य से अनुरोध करेंगे कि वे आधार कार्ड को एकमात्र पहचान के लिए प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करने पर जोर न दें क्योंकि भारत के नागरिकों के पास पहचान के सबूत पेश करने के लिए अन्य मान्यता प्राप्त विकल्प उपलब्ध हैं।"

न्यायालय राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों के संबंध में स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें दुकानदारों, विक्रेताओं, स्थानीय टैक्सी चालकों आदि को अपना व्यवसाय फिर से शुरू करने के लिए टीकाकरण अनिवार्य कर दिया गया है।

रजिस्ट्री द्वारा न्यायालय को यह भी सूचित किया गया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिवों ने व्यापक रिपोर्ट तैयार की है, जिसका सारांश महाधिवक्ता और राज्य के संबंधित प्राधिकरण को भेजा जाएगा ताकि वे सुनवाई की अगली तारीख को ऐसी रिपोर्टों का जवाब दे सकें।

इसे देखते हुए कोर्ट ने मामले को चार हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया।

कोर्ट ने इससे पहले फैसला सुनाया था कि अनिवार्य या ज़बरदस्ती वैक्सीनेशन करना कानून के तहत उचित नहीं है और इसलिए इसे शुरू से ही अधिकारातीत घोषित किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि टीकाकरण के संबंध में लोगों के पास सूचित विकल्प है, सभी दुकानों, प्रतिष्ठानों, स्थानीय टैक्सियों आदि के टीकाकरण के संबंध में राज्य सरकार को कई निर्देश जारी किए थे।

कोर्ट ने इस मुद्दे की बारीकी से निगरानी करने का भी निर्णय लिया था ताकि राज्य सरकार जल्द से जल्द टीका हिचकिचहट की समस्या को दूर करने में सक्षम हो और राज्य में सभी पात्र व्यक्तियों को राज्य द्वारा निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर अच्छी तरह से टीका लगाया जा सके।

पीठ ने इस महीने की शुरुआत में राज्य पुलिस को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर COVID -19 वैक्सीन की प्रभावकारिता के बारे में झूठी अफवाहें फैलाने वाले लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था।

केस का शीर्षक: रजिस्ट्रार जनरल, उच्च न्यायालय बनाम मेघालय राज्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:




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