'हम भी उतने ही भारी मन से खारिज कर रहे हैं': न्यायिक सेवा परीक्षा के इंटरव्यू स्टेज तक पहुंचने के लिए केवल 0.33% अंकों की आवश्यकता वाले उम्मीदवार से दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

Update: 2022-10-29 06:41 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायपालिका के उस उम्मीदवार की याचिका खारिज कर दी, जिसने उसे दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा (मुख्य) परीक्षा (लिखित) - 2022 में योग्य घोषित करने के निर्देश के लिए प्रार्थना की थी।

याचिकाकर्ता अनिल कुमार परीक्षा को पास नहीं कर सका और उसे केवल इस कारण असफल घोषित किया गया कि उसके द्वारा पेपर- I (जीके और भाषा) में प्राप्त अंक 45 प्रतिशत की निर्दिष्ट सीमा से कम है। उसने कुल 150 अंकों में से 67 अंक [44.66 प्रतिशत] प्राप्त किए। इस प्रकार, वह परीक्षा के अगले चरण इंटरव्यू स्टेज तक पहुंचने में विफल रहा।

अदालत के समक्ष उसका तर्क था कि उसके उत्तरों के लिये दिए गए अंकों में से कोई भी अंक भिन्न में नहीं दिया गया है, इसलिए पेपर के लिए उसके अंकों को पूर्णांकित (rounded off) करना आवश्यक है।

जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस अमित महाजन की खंडपीठ ने कहा कि उसने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया होता, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा नियम, 1970 में विशिष्ट प्रावधान हैं, जो अंकों के पूर्णांकन को प्रतिबंधित करते हैं।

अदालत ने कहा,

"विशिष्ट प्रावधान के मद्देनजर, यह अदालत याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत देने में असमर्थ है।"

कुमार ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की खंडपीठ ने 16 सितंबर को उसे यह सत्यापित करने की स्वतंत्रता दी कि प्रत्येक प्रश्न को चिह्नित किया गया और कुल योग सही है। संबंधित अधिकारियों को उसके अनुरोध की मानदंडों के अनुसार जांच करने का निर्देश दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

"यह कठिन मामला है, लेकिन हम इसमें बहुत कम कर सकते हैं। इस प्रकार हमें इसे भारी मन से खारिज करना होगा।"

तदनुसार आदेश दिया गया।

जस्टिस बाखरू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भी आदेश में कहा,

''हम भी उतने ही भारी मन से इसे खारिज कर रहे हैं।''

केस टाइटल: अनिल कुमार बनाम दिल्ली हाईकोर्ट

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