फिजिकल रूप से विकलांगों के वैक्सीनेशन के लिए नीति तैयार करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने COVID-19 स्वतः संज्ञान मामले में सरकार से कहा
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट को यथार्थवादी आदेश पारित करने और राज्य में चिकित्सा सुविधाओं के उन्नयन के अपने निर्देशों पर रोक लगाने के कुछ दिनों बाद हाईकोर्ट ने छोटे जिलों बहराइच, श्रावस्ती, बिजनौर, बाराबंकी और जौनपुर में चिकित्सा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर संतोष व्यक्त किया है।
इसके अलावा, कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह फिजिकल रूप से विकलांग व्यक्तियों को वैक्सीनेशन के संबंध में एक नीति के साथ आए, जिन्हें वैक्सीनेशन सेंटर्स तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
पिछले हफ्ते, हाईकोर्ट ने COVID-19 पर अपने स्वत: संज्ञान मामले में सुनवाई करते हुए राज्य में "कमजोर और जर्जर" चिकित्सा बुनियादी ढांचे पर सरकार के खिलाफ कड़ी आलोचनात्मक टिप्पणी की थी। इसलिए इसने स्थिति को सुधारने के लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले उपायों की एक सीरीज का सुझाव दिया था।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने "असंभवता के सिद्धांत" का हवाला देते हुए आदेश पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने गुरुवार को इस संबंध में राज्य द्वारा दायर रिपोर्ट के परिशीलन पर कहा,
"हमने रिपोर्ट का अध्ययन किया है और हम सराहना करते हैं कि चिकित्सा बुनियादी ढांचे में सुधार के संबंध में कुछ काम किया गया है। उम्मीद है कि अन्य जिलों के संबंध में भी इसी तरह के प्रयास किए जाएंगे।"
इसने अब राज्य सरकार को पांच और जिलों भदोही, गाजीपुर, बलिया, देवरिया और शामली में चिकित्सा बुनियादी ढांचे में सुधार के संबंध में अगली तारीख तक एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
बेंच ने डायग्नोस्टिक्स के लिए शुल्क की कैपिंग पर भी संतोष दर्ज किया।
नई टेस्ट दरें इस प्रकार हैं:
1. आरटी-पीसीआर: रु. 500/- से 900/-
2. एंटीजन परीक्षण: रु. 200/-.
3. ट्रू नेट: रु. 1200/-.
बेंच ने मामले में दायर किए गए हस्तक्षेप आवेदनों के एक समूह को भी रिकॉर्ड में लिया।
हालाँकि, राज्य ने स्थगन की मांग की है। इसलिए आवेदनों पर विचार नहीं किया जा सका और वकील से अनुरोध किया गया कि वे आवेदनों पर गौर करें और जवाब प्रस्तुत करें।
इसके अलावा, कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह फिजिकल रूप से विकलांग व्यक्तियों को वैक्सीनेशन के संबंध में एक नीति के साथ आए, जिन्हें वैक्सीनेशन सेंटर्स तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
केस का शीर्षक: क्वारंटीन सेंटरों पर अमानवीय स्थिति...
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