विदेशी घोषित किए जाने के विदेशी ट्रिब्यूनल के आदेश से पहले ही गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हिरासत में ली गई महिला को डिटेंशन सेंटर से रिहा करने का आदेश दिया

Update: 2019-12-29 07:22 GMT

न्यायमूर्ति सुमन श्याम और न्यायमूर्ति पार्थिवज्योति सैकिया की गुवाहाटी हाईकोर्ट की पीठ ने  17.12.2019 पुलिस अधीक्षक (सीमा), शिवसागर, को एक महिला को जोरहाट के डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) से रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि उसको विदेशी घोषित किए जाने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया है।

विदेशी ट्रिब्यूनल ने 08.03.2019 को एक आदेश पास कर मुमताज़ बेग़म को विदेशी घोषित कर दिया था। याचिकाकर्ता ने यह दिखाने के लिए कि उसके पिता और दादा का नाम मतदाता सूची में शामिल था, 1951 का एनआरसी, 1956 और 1957 का मतदाता सूची और जमाबंदी का फ़ोटोकॉपी सबूत के रूप में पेश किया था और यह भी कि याचकाकर्ता का उसके पिता से संबंध का सबूत भी। पर ट्रिब्यूनल ने इन सभी साक्ष्यों को ख़ारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता के वक़ील एके तालुकदार ने अपनी दलील में कहा कि उनके मुवक्किल को ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी क़रार दिए जाने के आदेश से पहले ही 19.01.2019 को गिरफ़्तार कर लिया गया था।

पीठ ने इस बात को माना कि यह आदेश 08.03.2019 को दिया गया जबकि याचिकाकर्ता को 19.01.2019 को ही गिरफ़्तार कर लिया गया था। इस आधार पर पीठ ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत के तहत सिवसागर के पुलिस अधीक्षक (सीमा) को एसपी के इच्छानुसार ज़मानत पर याचिकाकर्ता को डिटेंशन सेंटर से रिहा करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता को हर 15 दिन पर एसपी को रिपोर्ट करने का भी आदेश दिया।

पीठ ने यह भी कहा कि अगर वह इस आदेश का उल्लंघन करेगी तो उसको रिहा करने का आदेश स्वतः ही रद्द हो जाएगा। पीठ ने एसपी को निर्देश दिया कि अगर कहा जाता है तो वह याचिकाकर्ता की उँगलियों और उसकी आँखों की पुतलियों के बायोमेट्रिक निशान ले सकते हैं। 




Tags:    

Similar News