दिल्ली दंगे: भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ आगे की जांच के आदेश को अदालत ने किया रद्द

Update: 2025-11-10 11:10 GMT

दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को भाजपा नेता और दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में कथित संलिप्तता के मामले में पुलिस को आगे की जांच करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया।

राउज एवेन्यू कोर्ट्स के विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने यह आदेश पारित किया।

अप्रैल में अदालत ने इस आदेश पर रोक लगाई थी और दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर नोटिस जारी किया था। यह याचिका अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (ACJM) के 1 अप्रैल के आदेश को चुनौती देने के लिए दाखिल की गई थी।

दिल्ली पुलिस ने दलील दी थी कि एसीजेएम ने शिकायतकर्ता की CrPC की धारा 156(3) के तहत एफआईआर दर्ज करने की याचिका के बावजूद मामले में आगे जांच का निर्देश देकर गलती की है, इसलिए आदेश रद्द किया जाना चाहिए।

पुलिस ने यह भी कहा कि एसीजेएम को यह जानकारी थी कि दंगों की बड़ी साजिश से जुड़ा एक मामला यूएपीए (UAPA) के तहत पहले से ही लंबित है, फिर भी उन्होंने विशेष अदालत के अधिकार क्षेत्र में दखल देकर आगे जांच का आदेश दिया।

एसीजेएम ने अपने आदेश में कहा था कि शिकायत में उल्लिखित एक घटना को लेकर कपिल मिश्रा के खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला बनता है और इस कारण आगे की जांच आवश्यक है।

कोर्ट ने यह भी कहा था कि कपिल मिश्रा ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह उस क्षेत्र में मौजूद थे और लोग उनके आस-पास इकट्ठा हुए थे, जिन्हें वे जानते भी थे। इसलिए उनकी उपस्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता, जो शिकायतकर्ता के आरोपों को और मजबूत करता है।

यह शिकायत मोहम्मद इलियास नामक व्यक्ति ने दर्ज कराई थी। एसीजेएम के समक्ष दिल्ली पुलिस ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कपिल मिश्रा को दंगों से जोड़ने की एक सुनियोजित साजिश रची जा रही है।

दिल्ली पुलिस ने कहा था कि भाजपा नेता का 2020 के दंगों से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है।

शिकायतकर्ता मोहम्मद इलियास ने मिश्रा, तत्कालीन थाना प्रभारी (SHO) दयालपुर और पाँच अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। इनमें भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट और पूर्व भाजपा विधायक जगदीश प्रधान तथा सत्वपाल संसद भी शामिल थे।

इलियास ने आरोप लगाया कि 23 फरवरी 2020 को उन्होंने कपिल मिश्रा और उनके साथियों को सड़क जाम करते और फेरीवालों की रेहड़ियां तोड़ते देखा था। उन्होंने यह भी दावा किया कि उस समय तत्कालीन डीसीपी (उत्तर-पूर्व) और अन्य पुलिस अधिकारी मिश्रा के पास खड़े थे और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी थी कि अगर वे क्षेत्र खाली नहीं करेंगे तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे।

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