दिल्ली दंगे: हाईकोर्ट ने राहुल सोलंकी हत्याकांड में दो लोगों को जमानत दी, एक आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

Update: 2023-12-18 08:12 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में सोमवार को दो लोगों को जमानत दे दी और एक को जमानत देने से इनकार कर दिया। उक्त घटनाक्रम में राहुल सोलंकी नामी व्यक्ति की गोली लगने से जान चली गई थी।

जस्टिस अमित बंसल ने आरिफ और अनीश कुरेशी को जमानत दे दी, जो 09 मार्च, 2020 से हिरासत में हैं। कोर्ट ने दोनों व्यक्तियों यह देखते हुए जमानत दी कि मुकदमे में लंबा समय लगने की संभावना है और उन्हें अनिश्चित काल तक कैद में नहीं रखा जा सकता।

अदालत ने मोहम्मद मुस्तकीम को जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि एक प्रत्यक्षदर्शी ने उसकी पहचान उस व्यक्ति के रूप में की है, जिसने गोली चलाई, जिससे सोलंकी की मौत हो गई।

2020 की एफआईआर 75 भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 302, 149, 147, 148, 436, 120 और 34 के तहत पुलिस स्टेशन दयालपुर में दर्ज की गई।

24 फरवरी, 2020 को राहुल सोलंकी को दंगों के दौरान गोली लग गई और संबंधित डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। अगले दिन उ,का पोस्टमार्टम किया गया।

जांच पुलिस स्टेशन दयालपुर के पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई थी। बाद में 07 मार्च, 2020 को आगे की जांच के लिए जांच एसआईटी, अपराध शाखा को सौंप दी गई।

दोनों आरोपियों को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से पता चलता है कि आरिफ और कुरेशी गैरकानूनी सभा का हिस्सा थे और यह अभियोजन पक्ष का मामला नहीं है कि वे खतरनाक हथियार से लैस थे।

अदालत ने कहा,

"मेरे विचार में केवल इसलिए कि आवेदक एक भीड़ का हिस्सा थे, यह नहीं माना जा सकता कि भीड़ का सामान्य उद्देश्य हत्या करना था, या आवेदकों को पता था कि हत्या होने की संभावना थी।"

इसमें कहा गया,

“दोनों आवेदक 9 मार्च, 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं। आवेदकों के खिलाफ आरोपपत्र 2 जून 2020 को दायर किया गया। इसके बाद विभिन्न पूरक आरोपपत्र दायर किए गए। आवेदकों के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए। अभी तक अभियोजन की गवाही शुरू नहीं हो सकी है। अभियोजन पक्ष ने कई गवाहों को सूचीबद्ध किया और इसलिए मुकदमे में लंबा समय लगने की संभावना है।

जस्टिस बंसल ने मुस्तकीम को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि कथित अपराधों में उसकी संलिप्तता दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर सामग्री मौजूद है।

अदालत ने कहा,

"मैं एसपीपी की इस दलील से सहमत हूं कि आवेदक को केवल लंबी कैद के कारण जमानत नहीं दी जा सकती, क्योंकि आवेदक पर मौत या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों का आरोप लगाया गया है।"

आरोपी आरिफ की ओर से वकील सहीम मलिक पेश हुए। आरोपी अनीश कुरेशी की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर और कार्तिक वेणु पेश हुए। आरोपी मोहम्मद मुस्तकीम की ओर से वकील तारा नरूला, बीजा हरिनिग, प्रिया साहिल और शिवांगी शर्मा पेश हुईं। एसपीपी रजत नायर एडवोकेट ध्रुव पांडे के साथ राज्य की ओर से पेश हुए।

केस टाइटल: एआरआईएफ बनाम राज्य और अन्य जुड़े मामले

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