दिल्ली हिंसा : पीड़ितों के पुनर्वास उपाय की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से अनुपालन रिपोर्ट मांगी
पिछले आदेश में जिसे न्यायमूर्ति मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने पारित किया था, अदालत ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को कुछ निर्देश दिए थे, जिनके अनुपालन के संबंध में अदालत ने पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अदालत के 26 फरवरी की सुनवाई के बाद दिए गए आदेश के अनुपालन के बारे में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी देने वाली रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति हरी शंकर की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस को 3 सप्ताह के भीतर उक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
वर्तमान मामला गंभीर रूप से घायल पीड़ितों के सुरक्षित मार्ग उपलब्ध करवाने, चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के साथ साथ पुनर्वास उपाय करने के लिए अदालत के निर्देशों की मांग से संबंधित है।
पिछले आदेश में जिसे न्यायमूर्ति मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने पारित किया था, अदालत ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को कुछ निर्देश दिए थे, जिनके अनुपालन के संबंध में अदालत ने पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।
जस्टिस आर मुरलीधर की पीठ ने इस दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था, "इस कोर्ट के रहते दिल्ली में फिर से '1984' नहीं होने दिया जा सकता। पीठ ने कहा कि ये समय लोगों में भरोसा दिलाने का है। लोगों में मन में डर खत्म करने के लिए अधिकारी पीड़ितों से जाकर मिलें।
अदालत ने जुबैदा बेगम को एमिक्स क्यूरी भी नियुक्त किया था। हाईकोर्ट ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि जिन लोगों की मृत्यु हो गई है उनके लिए सुरक्षित मार्ग और यह आश्वासन हो कि उनका अंतिम संस्कार सम्मान के साथ हो।
पीठ ने तुरंत हेल्पलाइन स्थापित करने और उन्हें प्रचारित करने को कहा था। पुलिस को समय पर पहुंचने और पर्याप्त निजी एम्बुलेंस के लिए सुरक्षित मार्ग एम्बुलेंस सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए।
पीठ ने कहा कि यदि पर्याप्त आश्रय स्थल नहीं हैं , तो सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए युद्धस्तर पर निपटना चाहिए कि पर्याप्त संख्या में आश्रय स्थल स्थापित किए जा सकें। इन आश्रय स्थलों में, कंबल, दवाइयां, स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल सहित बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
न्यायालय ने जिला कानूनी सेवाओं के अधिकारियों के विभिन्न सचिवों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि पीड़ितों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए उनकी हेल्पलाइन कम से कम अगले दो सप्ताह तक 24x7 काम करें। पीठ ने दंगा पीड़ितों की मदद के लिए मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान के निदेशक को पर्याप्त संख्या में पेशेवरों को प्रदान करने के निर्देश भी दिए गए थे।
इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।