दिल्ली दंगे: कोर्ट ने फातिमा मस्जिद और उसके आस-पास के घरों में आग लगाने के आरोपी पिता-पुत्र को बरी किया

Update: 2024-09-25 07:49 GMT

दिल्ली कोर्ट ने हाल ही में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान एक मस्जिद और उसके आस-पास के घरों में आग लगाने के आरोपी पिता-पुत्र को बरी किया।

कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने मामले में संदेह का लाभ देते हुए मिट्ठन सिंह और जोनी कुमार को बरी कर दिया।

मोहम्मद मुनाजिर नामक व्यक्ति की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई। मुनाजिर ने आरोप लगाया कि फातिमा मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद घर लौटते समय उसने अपनी गली में भीड़ देखी थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि पहले दंगाइयों ने फातिमा मस्जिद के शीशे तोड़कर उसमें आग लगा दी और फिर आस-पास के घरों में आग लगाई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके घर पर पथराव किया जा रहा, गोलियां चलने की आवाजें आ रही थीं और गैस सिलेंडर फेंके जा रहे थे।

इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि उनका घर पूरी तरह से जला दिया गया। उनके घर से सोने के गहने और 1,50,000 रुपये नकद लूट लिए गए।

दोनों आरोपियों के खिलाफ 20 दिसंबर 2021 को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 147 (दंगा), 148, 392, 436 और 149 के तहत आरोप तय किए गए थे। दोनों ने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमे की मांग की।

दोनों को बरी करते हुए अदालत ने पाया कि सभी पीड़ित या सार्वजनिक गवाह दोनों आरोपियों की पहचान के मुद्दे पर अभियोजन पक्ष के मामले से मुकर गए। अदालत ने कहा कि उन सभी ने दंगाइयों के बीच दोनों आरोपियों को देखने से इनकार किया।

न्यायाधीश ने कहा कि दो पुलिस अधिकारियों जो आरोपियों की मौजूदगी को स्थापित करने के लिए अभियोजन पक्ष के गवाह थे, उनका बयान कि उन्होंने मामले में बाद में जांच की गई घटनाओं के दौरान दोनों आरोपियों की पहचान की थी, असामान्य घटनाक्रम के रूप में दिखाई दिया।

अदालत ने कहा,

"कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि उनके ऐसे बयान दोनों आरोपियों के खिलाफ पूर्व-निर्धारित मानसिकता के साथ दिए गए या तैयार किए गए, जो पहले से ही 05.03.2020 से पुलिस हिरासत में थे। इसलिए उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए केवल पीडब्लू 4 और पीडब्लू 5 के साक्ष्य के आधार पर मैं इस मामले में जांच की गई घटनाओं के दौरान 25.02.2020 को दंगाइयों के बीच दोनों आरोपियों की मौजूदगी का अनुमान लगाना सुरक्षित नहीं पाता।"

आगे कहा गया,

"मेरी पिछली चर्चाओं, टिप्पणियों और निष्कर्षों के मद्देनजर मैं दोनों आरोपियों को इस मामले में संदेह का लाभ पाने का हकदार पाता हूं। इसलिए इस मामले में उन दोनों को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है।"

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