[दिल्ली दंगे] कोर्ट ने अपने ही घर को लूटने और नुकसान पहुँचाने की शिकायत करने वाले व्यक्ति को ही आरोप बनाने वाले मामले की कार्यवाही पर रोक लगाई

Update: 2021-04-08 06:43 GMT

दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को सीएमएम कोर्ट के समक्ष लंबित उस कार्यवाही पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान हाशिम अली नाम के एक व्यक्ति ने पुलिस को लूट, आगजनी और अपने घर को नुकसान पहुंचाने की शिकायत की थी, मगर बाद में पुलिस ने चोरी, संपत्ति को नष्ट करने और आगजनी का आरोप लगाते हुए एक अन्य एफआईआर के साथ उसकी शिकायत को टैग करते हुए उसे ही आरोपी बना दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने उक्त कार्यवाही पर रोक लगाते हुए जांच अधिकारी और एसएचओ, करावल नगर को सुनवाई की अगली तारीख यानी 29 अप्रैल को मूल केस डायरी के साथ अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

हाशिम अली और अबू बकर द्वारा मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा 24 फरवरी 2021 को पारित आदेश के खिलाफ यह याचिका दायर की गई है। इस मामले में न्यायाधीश ने दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की 147, 148, 149, 427, 436 और 34 के तहत दायर अपराधों पर संज्ञान लिया था।

अपनी याचिका में हाशिम अली ने कहा कि 25 फरवरी, 2020 को डंड़ों, तेजाब और पेट्रोल की बोलत और रॉड़ से लैस एक भीड़ उनके घर में घुस गई और "मुल्लों को जान से मारेंगे" का नारा लगाते हुए लूटपाट करने लगी। याचिका में आरोप लगाया गया कि जब हाशिम ने अपनी जान बचाने के लिए घर से भागने की कोशिश की, तो उसने तीन लोगों की पहचान की। उसके बाद उनका दूसरा घर भी 05:55 बजे जला दिया गया।

अली ने तीन आरोपियों को नामजद करते हुए कथित रूप से लूटपाट, आगजनी और उनके घर को नुकसान पहुंचाने के लिए एक शिकायत दर्ज की है।

यह एफआईआर कथित तौर पर नरेश जैन नामक व्यक्ति द्वारा की गई एक और एफआईआर के साथ टैग की गई है, जिसमें चोरी, संपत्ति को नष्ट करने और आगजनी का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया गया कि 13 शिकायतें, जो कि हाशिम अली की लिखित शिकायत सहित मदीना मस्जिद के आसपास के क्षेत्र के मुस्लिम निवासियों द्वारा दायर की गई हैं, को उक्त प्राथमिकी के साथ मैकेनिकली टैग किया गया है।

मामले में आवेदकों की ओर से पेश अधिवक्ता एमआर शमशाद ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनके और उनके बेटे द्वारा दायर की जा रही शिकायतों के बावजूद दूसरे समुदाय के नामित व्यक्तियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई। इसके अलावा, आवेदकों का यह भी कहना है कि बावजूद इसके कि वे शिकायतकर्ता हैं उन्हें फिर भी गिरफ्तार किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें गलत तरीके से नरेश जैन की शिकायत के साथ टैग किया गया है।

इसे देखते हुए आवेदकों द्वारा यह प्रार्थना की गई है कि यदि मामले में अंतरिम स्थगन मंजूर नहीं किया गया तो न्याय के हित को खतरा होगा, क्योंकि सीएमएम उक्त टैग किए गए मामले पर सुनवाई करने के लिए आगे बढ़ेंगे।

दूसरी ओर, विशेष लोक अभियोजक नितिन राय शर्मा ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह हाशिम अली और उनके बेटे द्वारा की गई शिकायत के संबंध में मूल केस डायरी का को देखना चाहते हैं।

राज्य को मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कहते हुए कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख के लिए मूल केस फाइल को अदालत के समक्ष पेश किया जाए।

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