दिल्‍ली दंगाः कोर्ट ने अलग-अलग धर्मों के आरोपियों के मामलों को अलग-अलग करने का आदेश दिया, गोधरा सांप्रदायिक दंगो का हवाला दिया

Update: 2021-09-15 07:20 GMT

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में गोधरा सांप्रदायिक दंगों के मुकदमे का हवाला देते हुए हिंदू और मुस्लिम धर्मों के आरोपियों के मुकदमों को अलग करने का आदेश दिया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव एक प्राथमिकी पर विचार कर रहे थे, जिसमें तीन हिंदुओं और दो मुसलमानों सहित पांच आरोपियों पर सलमान नामक एक व्यक्ति की हत्या और दंगे के आरोप में मुकदमा चलाया जा रहा है।

जज ने कहा, "एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है कि क्या मुकदमे को अलग-अलग धर्मों के आरोप‌ियों के वर्गीकरण के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी जा सकती है, जो कथित रूप से दो अलग-अलग साजिशों और गैरकानूनी भीड़ के हिस्से के रूप में काम कर रहे थे। यह निश्चित रूप से विभिन्न धर्मों के आरोप‌ियों की रक्षा को प्रभावित करने जा रहा है।"

जिसके बाद, कोर्ट ने गोधरा मुकदमे पर भरोसा किया, जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय ने दो अलग-अलग समुदायों के आरोपियों के मुकदमे को अलग करने का आदेश दिया था।

अदालत ने कहा, "पूर्वोक्त न्यायिक मिसाल को ध्यान में रखते हुए, यह अदालत आरोपियों के मुकदमे को अलग करना उचित समझती है ताकि उनके बचाव में पूर्वाग्रह होने की संभावना न हो।"

इसके मद्देनजर कोर्ट ने डीसीपी क्राइम ब्रांच को दो हफ्ते के अंदर चार्जशीट का पूरा सेट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा, "इसके बाद, अहलमद को एक अलग सेशन केस नंबर डालने का निर्देश दिया जाता है, जो इस प्राथमिकी में SC no. 3A/ 2021 हो सकता है और मौजूदा चार्जशीट को कुलदीप, दीपक ठाकुर और दीपक यादव नामक तीन आरोपियों की चार्जशीट के रूप में माना जाएगा, जबकि अन्य आरोपियों मोहम्मद फ़ुरकन और मोहम्‍मद इरशाद के लिए अलग आरोप पत्र माना जाएगा।"

कोर्ट ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148,149, 153-ए, 302, 436, 505, 120-बी और 34 के के तहत आरोप तय किए।

शीर्षक: राज्य बनाम कुलदीप और अन्य।

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