दिल्ली दंगा: अदालत ने जनवरी से सरकारी वकील के पेश होने में विफलता के लिए राज्य सरकार पर तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया
दिल्ली की एक अदालत ने इस साल जनवरी में चार्जशीट दाखिल होने के बाद से उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर के पेश होने में विफल रहने के बाद राज्य सरकार पर 3000 रुपये का जुर्माना लगाया।
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त को जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच करने और जिम्मेदार व्यक्ति के वेतन से उसकी कटौती का आदेश देने का भी निर्देश दिया।
अदालत खजूरी खास पुलिस स्टेशन में दर्ज 2020 की एफआईआर नंबर 205 से निपट रही थी। इसी की सुनवाई के दौरान यह घटनाक्रम पेश आया।
दंगों के आरोपी सलमान की ओर से पेश वकील ने अदालत को अवगत कराया कि उसे जो चार्जशीट दी गई है, वह हर तरह से पूर्ण है। हालांकि, एसपीपी के एक बार फिर उपलब्ध नहीं होने के आधार पर आरोप पर बहस शुरू करने के लिए राज्य की ओर से स्थगन का अनुरोध किया गया।
अदालत ने आदेश दिया,
"फाइल के अवलोकन से पता चलता है कि वर्तमान मामले में एसपीपी 30.01.2021 को वर्तमान चार्जशीट दाखिल करने की तारीख के बाद से एक बार भी पेश नहीं हुए हैं। स्थगन के लिए अनुरोध की अनुमति है। एनओडीएच पर अदालत में राज्य पर 3,000 / रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।"
अब मामले की सुनवाई 25 जनवरी को होगी।
गौरतलब है कि हाल ही में एक सत्र न्यायाधीश ने स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर के पेश नहीं होने के कारण दिल्ली दंगों के मामलों के निपटारे में देरी पर चिंता व्यक्त की थी।
इसने मामले को 'गंभीरता' से लेने के लिए संबंधित डीसीपी से रिपोर्ट मांगी थी और मामलों में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व करने के लिए और एसपीपी नियुक्त करने के लिए भी कहा था।
इसी तरह, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उत्तर पूर्व जिले के डीसीपी को अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को दंगों के मामलों में ट्रायल कोर्ट के न्यायिक आदेशों और निर्देशों का पालन करने के लिए संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लंबित मामलों में कोई देरी न हो।
शीर्षक: स्टेट बनाम सलमान
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