दिल्ली मास्टर प्लान स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट का उल्लंघन, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका
नेशनल हॉकर्स फेडरेशन ने दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है। फेडरेशन का कहना कि उक्त प्रावधान (कथित तौर पर) स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 का सीधा उल्लंघन हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने 11 जनवरी, 2022 को सुनवाई के लिए पोस्ट करते हुए याचिका पर नोटिस जारी किया।
एडवोकेट कवलप्रीत कौर, हैदर अली और ओइंड्रिला सेन ने दायर की गई याचिका में कहा कि वर्ष 2007 में मंजूरी किया गया मास्टर प्लान, 2021 में 2014 के अधिनियम को ध्यान में नहीं रखा गया है।
उदाहरण के लिए 2014 अधिनियम की धारा तीन (टाउन वेंडिंग कमेटी) टीवीसी को यह सुनिश्चित करने में सक्षम बनाती है कि सभी मौजूदा स्ट्रीट वेंडरों को वेंडिंग जोन में समायोजित किया जाए। मास्टर प्लान इसकी भूमिका के बारे में चुप है।
इसके बजाय, मास्टर प्लान की धारा 5.10 (अनौपचारिक क्षेत्र) स्थानीय एजेंसियों और आरडब्ल्यूए को स्ट्रीट वेंडिंग को विनियमित करने का अधिकार देती है।
इसी तरह, 2014 अधिनियम की धारा 21 (स्ट्रीट वेंडिंग के लिए योजना) टीवीसी के परामर्श से स्ट्रीट वेंडरों के व्यवसाय को बढ़ावा देने पर विचार करती है। हालांकि, मास्टर प्लान की धारा 5.10.5 के तहत नियोजन मानदंड इसे ध्यान में नहीं रखते हैं।
इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने मास्टर प्लान, 2021 की धारा 5.10.1, 5.10.2, 5.10.3, 5.10.4 और 5.10.5 सहित अनौपचारिक क्षेत्र के शीर्ष 5.10 के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को अल्ट्रा वायर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) अधिनियम, 2014 के रूप में चुनौती दी है।
याचिका में यह आग्रह किया गया है कि मास्टर प्लान, 2021 में उक्त धाराओं को 2014 के अधिनियम की धारा तीन और 21 के अनुरूप अनुभागों से प्रतिस्थापित किया जाए।
गौरतलब है कि इस याचिकाकर्ता ने ड्राफ्ट दिल्ली मास्टर प्लान, 2041 को भी चुनौती दी है, क्योंकि हितधारक परामर्श के लिए केवल 45 दिनों की अवधि आवंटित की गई थी।
केस शीर्षक: नेशनल हॉकर्स फेडरेशन बनाम डीडीए