"न्यायिक कार्यवाही के प्रति लापरवाहीपूर्ण रवैया": दिल्ली हाईकोर्ट ने बार-बार मौका देने के बावजूद जवाब दाखिल न करने पर डीडीए की खिंचाई की
दिल्ली हाईकोर्ट ने विकलांग व्यक्तियों के लाभ के लिए भूमि आवंटन से संबंधित एक मामले में जवाब दाखिल करने के अपने आदेशों का पालन न करने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की खिंचाई की।
न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी ने कहा कि अदालती कार्यवाही के प्रति डीडीए का उदासीन और अड़ियल रवैया है।
न्यायाधीश ने कहा कि गैर-अनुपालन की जिम्मेदारी उपाध्यक्ष, डीडीए द्वारा संबंधित अधिकारी पर तय की जाएगी।
अदालत ने कहा,
"जाहिर है कि आदेश का डीडीए प्रबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कोई प्रतिक्रिया नहीं है। अदालत की कार्यवाही के प्रति डीडीए का स्पष्ट रूप से उदासीन और अड़ियल रवैया है।"
न्यायालय एक याचिका पर विचार कर रहा था। इसमें न्यू ग्लोबल विजन सोसाइटी नामक एक सोसायटी ने विकलांग व्यक्तियों (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के तहत विकलांग व्यक्तियों के लाभ के लिए एक संस्थागत भूमि के आवंटन की मांग की है।
कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में कहा कि लगभग चार साल तक अनुरोध के लंबित रहने के बावजूद, डीडीए की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
कोर्ट ने पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद डीडीए द्वारा विभिन्न मामलों में जवाब या जवाबी हलफनामे दाखिल नहीं करने पर भी नाराजगी व्यक्त की।
तदनुसार, अदालत ने डीडीए के वकील को न केवल वर्तमान मामले में बल्कि अन्य मामलों में भी डीडीए के वकील को दिए जा रहे निर्देशों के तरीके को देखने के लिए डीडीए के उपाध्यक्ष को निर्देश दिया।
हाल ही जब में 27 अक्टूबर को मामले को उठाया गया तो कोर्ट ने फिर से कहा कि उसके आदेश का डीडीए प्रबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और प्राधिकरण की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
कोर्ट ने अब डीडीए को अपना जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है। इसके साथ ही विलंब के लिए जिम्मेदार अधिकारी के वेतन से 25,000 रुपये का जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा,
"... डीडीए के वकील के अनुरोध पर एक और अंतिम अवसर दिया जाता है कि वह जवाब दाखिल कर सकता है। यह मौका 25,000/- रुपये का जुर्माना भरने के अधीन है। जुर्माना राशि को उस संबंधित अधिकारी के वेतन से काटा जाएगा जिसके कारण वकील को कारण न बताने या जवाब दाखिल करने के संबंध में निर्देश न देने पर देरी हो सकती है। उक्त राशि तीन सप्ताह के भीतर डीसीएफ (पश्चिम) के पास जमा करा दी जाए।"
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आयुक्त, डीडीए द्वारा उपाध्यक्ष, डीडीए की पूर्व स्वीकृति के साथ एक हलफनामा दायर किया जाए। इस हलफनामा में बताया गया हो कि पिछले आदेश में अदालत की टिप्पणियों के संबंध में क्या कार्रवाई की गई है।
कोर्ट ने कहा कि उक्त हलफनामे को दाखिल करने में विफलता के मामले में उपाध्यक्ष डीडीए की व्यक्तिगत रूप से सहायता अनिवार्य हो सकती है।
अब इस मामले पर 20 दिसंबर को विचार किया जाएगा।
केस टाइटल: न्यू ग्लोबल विजन सोसाइटी बनाम दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी और अन्य
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें