दिल्ली हाईकोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक टेक्नोलॉजी के गैर-विनियमन के खिलाफ जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक टेक्नोलॉजी के गैर-नियमन के खिलाफ जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से रुख मांगा।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार के वकील अपूर्व कुरूप को समय दिया।
मामले की सुनवाई अब 08 जनवरी 2024 को होगी।
याचिका एडवोकेट चैतन्य रोहिल्ला द्वारा दायर की गई है और एडवोकेट मनोहर लाल के माध्यम से दायर की गई।
याचिका में केंद्र सरकार को डीपफेक और एआई तक पहुंच प्रदान करने वाली वेबसाइटों की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने और इसके विनियमन के लिए दिशानिर्देश तय करने का निर्देश देने की मांग की गई।
इसमें एआई के निष्पक्ष कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने और भारत के संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के अनुसार एआई और डीपफेक एक्सेस के लिए दिशानिर्देश जारी करने के निर्देश भी मांगे गए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन ने सुनवाई के दौरान कहा कि एआई और डीपफेक से निपटना कठिन क्षेत्र हैं।
अदालत ने कहा,
“टेक्नोलॉजी का कोई जवाब नहीं है, नहीं? इनसे निपटना कठिन क्षेत्र हैं। टेक्नोलॉजी के महत्व को समझना होगा। यह कुछ पहलुओं में मददगार भी है...''
केंद्र सरकार के वकील ने जवाब दिया कि जनहित याचिका में उठाया गया मुद्दा कानून बनाने के दायरे में है और सरकार पहले से ही उचित समाधान कर रही है।
अदालत ने तब कहा कि इस मुद्दे को ऐसे समाधान की आवश्यकता है, जो सभी परस्पर विरोधी हितों को संतुलित करे, जिसमें बहुत सारे विचार-विमर्श शामिल हों।
जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों में एआई को परिभाषित करना, एआई सिस्टम से जुड़े जोखिम, डीपफेक की भ्रामक प्रकृति और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा के साथ एआई का अंतर्संबंध शामिल है।
केस टाइटल: चैतन्य रोहिल्ला बनाम भारत संघ