आयकर नोटिस का जवाब देने के लिए सिर्फ तीन दिनों का समय दिया गया: दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को मूल्यांकन अधिकारी के पास वापस भेजा

Update: 2022-06-25 09:33 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने मामले को कर निर्धारण अधिकारी को वापस भेज दिया है, क्योंकि आयकर नोटिस का जवाब देने के लिए सिर्फ तीन दिन का समय दिया गया था।

याचिकाकर्ता/निर्धारिती ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 148ए (बी) के तहत जारी नोटिस और निर्धारण वर्ष 2018-19 के लिए धारा 148ए (डी) के तहत पारित आदेश का विरोध किया।

निर्धारिती ने तर्क दिया कि निर्धारिती (Assessee) को जवाब देने के लिए केवल तीन दिनों का समय दिया गया, जबकि जवाब देने की वैधानिक अवधि कम से कम सात दिनों की है।

इस तथ्य के बावजूद कि नोटिस से जुड़े अनुलग्नक ने याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए आठ दिन का समय दिया, आयकर अधिनियम की धारा 148ए (बी) का उल्लंघन करते हुए ई-फाइलिंग सबमिशन पोर्टल पहले बंद कर दिया गया।

याचिकाकर्ता ने साई को-ऑपरेटिव थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड बनाम आईटीओ के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय पर भरोसा किया। हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 148ए (बी) के तहत निर्धारिती को कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए कम से कम सात दिनों का समय दिया जाना चाहिए।

प्रतिवादी/विभाग को कानून के अनुसार नए निर्णय के लिए निर्धारण अधिकारी को मामले को वापस करने पर कोई आपत्ति नहीं है।

अदालत ने आकलन वर्ष 2018-19 के लिए धारा 148ए (डी) के तहत पारित आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने निर्धारण अधिकारी को याचिकाकर्ता के जवाब पर विचार करने के बाद कानून के अनुसार नया तर्कपूर्ण आदेश पारित करने का निर्देश दिया, जिसे एक सप्ताह के भीतर दायर करने का निर्देश दिया गया।

केस टाइटल: शुभम ठकराल बनाम आईटीओ

साइटेशन: डब्ल्यू.पी.(सी) 9293/2022

दिनांक: 03.06.2022

याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट सुमित कुमार बत्रा

प्रतिवादी के लिए वकील: एडवोकेट अमृत प्रधान

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