दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस चंद्रचूड़ की सीजेआई के रूप में नियुक्ति के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज की

Update: 2023-01-16 06:19 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में नियुक्ति के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज की।

जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विकास महाजन की खंडपीठ ने कहा कि याचिका पुनर्विचार के रूप में प्रच्छन्न अपील है और यह पुनर्विचार के दायरे में नहीं आती है।

पीठ ने कहा,

"याचिकाकर्ता रिकॉर्ड के सामने स्पष्ट रूप से कोई त्रुटि दिखाने में सक्षम नहीं है। 30 नवंबर, 2022 को पारित किए गए आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। याचिका खारिज की जाती है।”

याचिकाकर्ता संजीव कुमार तिवारी ने जनहित याचिका में तर्क दिया कि जस्टिस चंद्रचूड़ की नियुक्ति संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन में की गई है। उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ की नियुक्ति पर तत्काल रोक लगाने की प्रार्थना की।

तिवारी को व्यक्तिगत रूप से पेश करने के बाद, अदालत ने पुनर्विचार याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसे ‘याचिका की फिर से सुनवाई की आड़ में" दायर किया गया है, जो पुनर्विचार में स्वीकार्य नहीं है।

पिछले हफ्ते, चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा के नेतृत्व वाली बेंच ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

जनहित याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने नवंबर 2022 में देखा था कि याचिका प्रचार प्राप्त करने के लिए दायर की गई है।

अदालत ने यह भी नोट किया था कि जनहित याचिका में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के खिलाफ बिना किसी समर्थन के सामग्री के कई निंदनीय आरोप लगाए गए हैं।

तिवारी, जिन्होंने खुद को "भारत के राष्ट्र का एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित बुद्धिमान आम नागरिक" कहा, ने जनहित याचिका में कहा कि नए सीजेआई के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जांच की जानी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका देशद्रोही और नक्सली ईसाई आतंकवादी से किसी भी तरह का संबंध नहीं है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि जस्टिस चंद्रचूड़ "प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने वाले देशद्रोहियों को नष्ट करने में जागरूक होंगे। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रशांत भूषण, इंदिरा जयसिंह जैसे वकील चाहते हैं कि मुख्य न्यायाधीश "उनके सहयोगी" हों।

केस टाइटल: संजीव कुमार तिवारी बनाम भारत सरकार और अन्य


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