उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में "I Love Muhammad" पोस्टरों की "स्वतंत्र और निष्पक्ष" जांच की मांग वाली याचिका खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट ने पैगंबर मुहम्मद के जन्म और निधन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले मिलाद-उन-नबी के अवसर पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में व्यक्तियों द्वारा प्रदर्शित "I Love Muhammad" पोस्टरों को लेकर दर्ज तीन FIRs की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग वाली एक जनहित याचिका खारिज की।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज की कि याचिकाकर्ता शुजात अली का इस मामले में कोई 'जनहित' नहीं था।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट अन्य राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों के संबंध में निर्देश पारित नहीं कर सकता।
यह जनहित याचिका उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस पर सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के कारण झूठी FIR दर्ज करने और शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को अपराध बनाने का आरोप लगाते हुए दायर की गई थी।
यह प्रस्तुत किया गया कि उपरोक्त पोस्टर प्रदर्शित करने के आरोपी लोग अपना धार्मिक त्योहार और भक्ति मना रहे थे।
हालांकि, यह कहते हुए कि व्यक्तिगत आरोपी कानून के तहत सहारा ले सकते हैं, याचिकाकर्ता का कोई सार्वजनिक हित नहीं है। मामले में रुचि न होने के कारण अदालत ने याचिका खारिज कर दी।