दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भेजे गए ईडी के समन पर रोक लगाने से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने आज यानी शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत जारी किए गए समन पर स्थगन देने से इनकार कर दिया।
महबूबा मुफ्ती को ईडी के सामने अब 22 मार्च को उपस्थित होना है। महबूब मुफ्ती की ओर से एडवोकेट नित्या रामकृष्णन पेश हुए, वहीं केंद्र और ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अन्य लोगों के साथ पेश हुए।
रामकृष्णन ने प्रस्तुत किया कि पिछली सुनवाई पर ईडी की तरफ से "नरम रूख" अपनाया गया और उसने 19 मार्च को महबूबा को कोर्ट में आने के लिए जोर नहीं दिया।
इस पर तुषार मेहता ने कहा,
"वह नरम रूख नहीं थे, परिस्थितियां ही ऐसी थीं।"
अदालत ने तब कहा कि वह ईडी द्वारा जारी समन पर कोई रोक नहीं लगाएगी।
महबूबा मुफ्ती को 15 मार्च को पेश होने के लिए समन जारी किया गया था। तब ईडी ने अदालत के सामने प्रस्तुत किया था कि 19 मार्च तक वह महबूबा मुफ्ती की उपस्थिति पर जोर नहीं देगी।
मेहता ने यह कहते हुए कि मुफ्ती की याचिका पर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया था कि वे उनकी याचिका के जवाब में एक कानूनी नोट दायर करेंगे और संविधान पीठ के फैसले ने पहले ही इस मुद्दे को कवर कर दिया था। उन्होंने कल ही नोट दायर करने के लिए कहा।
मेहता की प्रस्तुति पर अदालत ने दोनों पक्षों को निर्णयों का संग्रह पेश करने का निर्देश दिया, जिन पर वे भरोसा करना चाहते हैं और 16 अप्रैल को अगली सुनवाई के लिए मामला पोस्ट किया है।
पीडीपी नेता ने अदालत को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत जारी किए गए समन को रद्द करने की मांग की थी।
मुफ्ती ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उन्हें पीएमएलए के धारा 50 (2) और 50 (3) के तहत 5 मार्च को सहायक निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय की आधिकारिक ईमेल आईडी से अपनी व्यक्तिगत ईमेल आईडी पर समन प्राप्त हुआ था। इसमें लिखा था कि एक अनुलग्नक जिसे "उसके पास नहीं भेजा गया है, और इसलिए उसे इसकी सामग्री के बारे में पता नहीं है।"
उन्होंने इस तथ्य पर आपत्ति जताई है कि उन्हें सूचित नहीं किया गया है कि क्या उन्हें एक आरोपी के रूप में या गवाह के रूप में बुलाया जा रहा है। साथ ही इस बात की भी जानकारी नहीं दी गई है कि उन्हें पीएमएलए के तहत समन जारी किया गया है या नहीं। जिसके संबंध में कार्यवाही जारी की गई है।
उन्होंने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 50 के प्रावधानों को भी चुनौती दी। दावा किया कि संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के उल्लंघन में है। इसके साथ ही विभिन्न मामलों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए विभिन्न निर्णयों का हवाला दिया है।