दिल्ली हाईकोर्ट ने आरटीआई के तहत हॉकी इंडिया के सदस्यों, कर्मचारियों के वेतन की सूची का खुलासा करने के लिए सीआईसी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया

Update: 2022-01-13 13:53 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें हॉकी इंडिया को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपने सदस्यों की सूची और कर्मचारियों के वेतन के विवरण सहित कुछ जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था।

ज‌स्टिस रेखा पल्ली, जो आदेश पर रोक लगाने के लिए इच्छुक नहीं थीं, का विचार था कि हॉकी इंडिया, एक सार्वजनिक प्राधिकरण होने के नाते, जानकारी का खुलासा करने से पीछे नहीं हट सकती। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारियों का वेतन भी सार्वजनिक है।

केंद्र ने सीआईसी के आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि इसे राष्ट्रीय खेल संहिता और केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार पारित किया गया था। केंद्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्ता ने कहा कि इस तरह की जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत गोपनीय जानकारी की छूट वाली श्रेणी में नहीं आती है।

तदनुसार, अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 20 जनवरी को सूचीबद्ध करते हुए मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को पांच दिनों का समय दिया। इस मामले में हॉकी इंडिया का प्रतिनिधित्व एडवोकेट शील त्रेहन ने किया था।

हॉकी इंडिया का मामला है कि आक्षेपित आदेश स्पष्ट रूप से अवैध, मनमाना और आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1) के जनादेश के विपरीत है जो कुछ प्रकार की सूचनाओं को प्रकट करने से छूट प्रदान करता है। इसलिए याचिका में आक्षेपित आदेश को रद्द करने की मांग की गई और संबंधित अधिकारियों को उक्त आदेश के अनुसरण में आगे बढ़ने या कार्य करने से रोकने के निर्देश भी मांगे गए।

केस शीर्षक: हॉकी इंडिया बनाम सीआईसी और अन्य।

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