आरोपियों के जामा मस्जिद में सामुदायिक सेवा करने का किया वादा, दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न का मामला खारिज किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामले को समझौता होने और दोनों आरोपियों द्वारा शहर की जामा मस्जिद में दो महीने तक सामुदायिक सेवा करने का वादा करने के बाद खारिज किया।
जस्टिस अनीश दयाल ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया और दोनों आरोपियों के दोषी ठहराए जाने की संभावना बहुत कम है।
अदालत ने कहा कि FIR की कार्यवाही जारी रखने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और राज्य के खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा।
जस्टिस दयाल ने 2019 में महिला द्वारा दो पुरुषों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 354 (महिला पर हमला), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354बी (महिला के कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला की गरिमा का अपमान) के तहत दर्ज कराई गई FIR रद्द की।
शिकायतकर्ता महिला ने कहा कि उसे अपने रिश्तेदार आरोपियों के खिलाफ मामला रद्द करने पर कोई आपत्ति नहीं है।
उसने कहा कि परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का निधन हो चुका है और उनके बीच यह मामला एक घरेलू विवाद के कारण उत्पन्न हुआ था, जिसे सुलझा लिया गया।
दोनों आरोपियों ने FIR रद्द करने की मांग करते हुए यह वचन दिया कि वे भविष्य में ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे, जिससे आगे कोई उल्लंघन हो।
उन्होंने 10 लाख रुपये जमा करने का भी वचन दिया। दिल्ली पुलिस कल्याण कोष में प्रत्येक को 5000 रुपये जमा कराने और जामा मस्जिद में महीने में चार दिन, कम से कम अगले दो महीनों तक, चार घंटे सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया।
उनके वचन पर गौर करते हुए अदालत ने आदेश दिया:
“तदनुसार, याचिका स्वीकार की जाती है। परिणामस्वरूप, FIR नंबर 202/2019... और उससे संबंधित कार्यवाही, याचिकाकर्ता(ओं) के कारण रद्द की जाती है। पक्षकारों को समझौते की शर्तों का पालन करना होगा।”
Title: AKBAR ALI & ANR v. STATE (NCT OF DELHI) & ANR