दिल्ली हाईकोर्ट ने आईजीआई हवाईअड्डे पर कथित रूप से हिरासत में लिए गए प्रवासी दंपति को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को पांच साल पहले दर्ज एफआईआर में जारी एक लुकआउट सर्कुलर [एलओसी] के अनुसरण में एक एनआरआई दंपति को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।
प्रवासी दंपत्ति वरिष्ठ नागरिक हैं और उन्हें नई दिल्ली के इंद्रा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कथित रूप से हिरासत में लिया गया था।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने प्रतिवादियों को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने का निर्देश देते हुए दंपति पर अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने की शर्त लगाई।
अधिवक्ता चेतन लोकुर और नीतीश चौधरी ने रजिस्ट्रार (लिस्टिंग) के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया और याचिकाकर्ता-दंपति के खिलाफ जारी एलओसी को रद्द करने और 2016 में दर्ज प्राथमिकी संख्या 685/2016 के संबंध में आर्थिक अपराध विंग (ईओडब्ल्यू) की धारा-VI, नई दिल्ली, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा (एस) 406/420/120बी के तहत के लंबित जांच के संबंध में खारिज करने की मांग की।
कई वर्षों से यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले दंपति पर नामजद एफआईआर हुई। आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप जिसके कारण उक्त अपराधों को अंजाम दिया गया।
उक्त प्राथमिकी राजेश सभरावल द्वारा की गई शिकायत से संबंधित है। उसने मेसर्स राजसवी एस्टेट एंड डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड और अन्य के साथ बेचने के लिए एक समझौता किया था। हालांकि, डेवलपर्स उसमें निर्धारित शर्तों का पालन करने में विफल रहे। उक्त शिकायत में आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ताओं ने शुरू में उक्त डेवलपर्स के साथ एक सहयोग समझौता भी किया था। हालांकि, यह समझौता शर्तों के उल्लंघन के कारण विफल हो गया था।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि एक बार सहयोग समझौते को रद्द कर दिए जाने के बाद याचिकाकर्ताओं को बिक्री के लिए उक्त समझौते के फलदायी नहीं होने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। नतीजतन, राजेश सभरवाल ने उक्त डेवलपर्स के खिलाफ वसूली का मुकदमा दायर किया, जो उनके खिलाफ फैसला सुनाया गया। साथ ही यह प्रस्तुत किया गया कि मुकदमे में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दावा नहीं किया गया था।
अदालत को सूचित करते हुए कि याचिकाकर्ताओं ने उक्त जांच में विधिवत सहयोग किया है। लोकुर ने जांच अधिकारी द्वारा हाल ही में जारी नोटिस पर याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत उत्तरों का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि एलओसी जारी करना और उसके बाद हिरासत में लेना 'पुलिस की मनमानी और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग' है।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि 23 अगस्त की सुबह से वरिष्ठ नागरिक जोड़े को हवाई अड्डे पर बिना भोजन, पानी या दवाओं के हिरासत में रखा गया। इसके परिणामस्वरूप उनके मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ। यह कहा गया कि अधिकारियों से भीख मांगने के बाद दंपति को रेस्ट रूम में जाने की अनुमति दी गई।
कोर्ट ने नोटिस जारी किया और मामले को 18 अक्टूबर, 2021 को सूचीबद्ध किया।
शीर्षक: जसजीत सिंह और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य।
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