'इसकी अनुमति नहीं': दिल्ली हाईकोर्ट ने कार चलाते हुए वर्चुअल सुनवाई में भाग लेने वाले वकील से कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक वकील के कार चलाते हुए वर्चुअल सुनवाई में भाग लेने पर आपत्ति व्यक्त की।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा दिल्ली दंगों के बड़े षड्यंत्र के मामले में उनके खिलाफ लगाए गए यूएपीए आरोपों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
हुसैन के वकील गाड़ी चलाते समय अदालत के सामने पेश हुए बेंच मौखिक रूप से टिप्पणी की:
"अगर वकील मोबाइल फोन से या कार में बैठकर सुनवाई में भाग लेते तो अदालत कोई आपत्ति नहीं करती। लेकिन आप मामले पर बहस करते हुए कार नहीं चला सकते हैं। कम से कम इस शिष्टाचार को वकील को विस्तारित करना चाहिए।"
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तक पहुंच की कमी और इंटरनेट कनेक्टिविटी के मुद्दों के कारण वर्चुअल कोर्ट में प्रतिबंध हैं। हालांकि, इस तरह की कार्यवाही उचित नहीं है।
उन्होंने कहा,
"इसकी अनुमति नहीं है। आप इस हद तक नहीं जा सकते। मैं स्थानों की बाधाओं और उन सभी चीजों को समझती हूं। सभी के पास सभी डिवाइस नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप गाड़ी चला रहे होंगे और सुनवाई में भाग ले रहे हो।"
इसी के आधार पर कोर्ट ने सुनवाई को अगली तारीख के लिए स्थगित कर दी।
हुसैन की याचिका एफआईआर 59/2020 के तहत हुसैन के खिलाफ दायर चार्जशीट में यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18 लगाने को चुनौती देती है। इसमें हुसैन के खिलाफ अभियोजन के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने की भी मांग की गई है।
याचिका में उनके खिलाफ लगाए गए यूएपीए प्रावधानों के तहत अभियोजन की मंजूरी के लिए समीक्षा समिति द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द करने की प्रार्थना की गई है।
दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मंजूर आदेश की वैधता तथ्य का सवाल है और इसलिए इसे मुकदमे विचारण के दौरान तय होने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए न कि सीआरपीसी की धारा 482 के रिट अधिकार क्षेत्र के तहत इस पर विचार किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय जांच अधिनियम का हवाला देते हुए आगे कहा गया है कि हुसैन के पास धारा 21 अपील करने का वैकल्पिक उपाय है। मामले की सुनवाई अब 19 अप्रैल को होगी।
केस शीर्षक: ताहिर हुसैन बनाम भारत संघ और अन्य, डब्ल्यूपी (सीआरएल) 1314/2021