दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिक महिला को उसकी मर्ज़ी के खिलाफ शादी करवाने पर दिया संरक्षण, विवाह खत्म करने के कदम उठाने का निर्देश
दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने बुधवार को एक समलैंगिक महिला को उसके परिवार की पसंद के एक व्यक्ति से उस महिला की इच्छा के विरुद्ध शादी करने पर महिला की याचिका पर नोटिस जारी किया और दिल्ली पुलिस को महिला की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
विशेष रूप से, इस मामले पर एक प्रगतिशील रुख अपनाते हुए अदालत ने महिला और उसके पति के साथ भी बातचीत की और निर्देश दिया कि विवाह के विघटन (ख़त्म करना) के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जा सकते हैं।
अदालत ने कहा,
"एक वयस्क महिला को उसके विवाह या माता-पिता के परिवार के साथ रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।"
मामले के संक्षिप्त तथ्य यह हैं कि याचिकाकर्ता एक समलैंगिक महिला है, जिसकी शादी उसकी मर्ज़ी के खिलाफ हुई थी और उसे धमकी दी गई थी कि वह अपना सेक्स ओरिएंटेशन ठीक करे।
वह 7 मार्च, 2021 को अपने ससुराल से भाग गई और नई दिल्ली में स्थित एएनएचएडी नामक एक गैर सरकारी संगठन से मदद मांगी। फिर उसे एक अन्य एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे एक सुरक्षित घर में अस्थायी आश्रय प्रदान किया गया, लेकिन उसके परिवार के सदस्य उस आश्रय गृह में पहुंच गए और याचिकाकर्ता को उन्हें सौंपने के लिए कहा।
स्पष्ट शब्दों में अदालत ने निर्देश दिया है कि किसी भी गैर-सरकारी संगठन के सदस्यों को महिला की मदद करने के लिए परेशान या नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि अगर वह ऐसा करती है तो महिला को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की स्वतंत्रता है।
साथ ही अदालत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वह महिला के नए स्थान पर महिला को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए।
महिला का प्रतिनिधित्व एडवोकेट ग्रोवर ने किया और दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व सरकारी वकील राहुल मेहरा ने किया।