दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल कारणों COVID-19 वैक्सीन से इनकार करने वाले शिक्षक को अंतरिम राहत देते हुए वेतन जारी करने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत के रूप में एक शिक्षक को दो महीने का वेतन जारी करने का निर्देश दिया। इस शिक्षक ने अपनी मेडिकल कंडिशन के कारण COVID-19 की वैक्सीन लेने से इनकार कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप शहर के एक स्कूल में टीचर को ऑनलाइन क्लास लेने से मना कर दिया गया।
जस्टिस योगेश खन्ना की पीठ के समक्ष आर.एस. भार्गव ने सेवा में बहाल किए जाने और "छुट्टी पर" स्थिति से हटाने के निर्देश दिए जाने की मांग की। इससे उन्हें वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग मोड के माध्यम से कक्षाएं संचालित करने की अनुमति मिल सके।
याचिका में यह भी निर्देश देने की मांग की गई कि स्कूल द्वारा याचिकाकर्ता को दिसंबर और जनवरी के महीनों के लिए वेतन का भुगतान किया जाए।
अदालत ने कहा,
"चूंकि याचिकाकर्ता को पिछले दो महीनों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए इस याचिका के अंतिम परिणाम के रूप में समायोजित करते हुए वेतन जारी करने का निर्देश दिया जाता है।"
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि दिल्ली सरकार और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के विभिन्न आदेशों के तहत सभी शिक्षकों को शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन करने का निर्देश दिया गया। हालांकि, याचिकाकर्ता ने कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के कारण वैक्सीन नहीं ली।
कोर्ट को बताया गया कि पिछले साल अक्टूबर में याचिकाकर्ता को दिल्ली सरकार द्वारा वैक्सीनेशन से छूट दी गई थी। हालांकि, डीडीएमए के एक सर्कुलर के आधार पर 29 अक्टूबर, 2021 के आदेश के तहत इस तरह की मंजूरी को एकतरफा वापस ले लिया गया। इसलिए याचिकाकर्ता का मामला है कि उसकी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वह वैक्सीनेशन के योग्य नहीं है और उसके लिए वैक्सीन लेना जोखिम से भरा है।
यह तर्क दिया गया कि एक बार याचिकाकर्ता की मेडिकल कंडिशन पर विचार करने के बाद छूट दी गई थी। बाद में प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा इस तरह की छूट को एकतरफा वापस लेने का कार्य पूरी तरह से अवैध था और याचिकाकर्ता को दी गई मेडिकल सलाह के खिलाफ था।
कोर्ट एडवोकेट शादान फरासत की इस दलील से सहमत नहीं था कि दिल्ली सरकार और डीडीएमए के आदेश केवल सरकारी स्कूलों पर लागू होते हैं न कि निजी स्कूलों पर।
इसलिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उक्त के मद्देनजर नवीनतम मेडिकल रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
कोर्ट ने निर्देश दिया,
"हालांकि, कोई भी आदेश पारित करने से पहले सभी उत्तरदाताओं के जवाब (ओं) को रिकॉर्ड करना उचित होगा और निश्चित रूप से इस मुद्दे पर नवीनतम मेडिकल शोध यदि कोई हो और इसलिए यहां याचिकाकर्ता को अपनी ताजा मेडिकल रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया जाता है। प्रमाणीकरण इस तथ्य के लिए कि क्या उसके लिए अपने घर से बाहर कदम रखना और स्कूल जाना सुरक्षित हो सकता है। साथ ही यह भी कि क्या वह दिल्ली के डीडीएमए/जीएनसीटी के सर्कुलर/आदेशों की कठोरता से किसी भी छूट का हकदार है, जैसा कि इसके द्वारा प्रस्तुत किया गया कि प्रतिवादी नंबर चार के वरिष्ठ वकील ने कहा कि स्कूलों के जल्द ही फिजिकल मोड में होने की उम्मीद है।"
अब इस मामले की सुनवाई आठ मार्च को होगी।
केस शीर्षक: आरएस भार्गव बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार और अन्य।
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