दिल्ली हाईकोर्ट ने BCI अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा को राज्यसभा से अयोग्य ठहराने की याचिका खारिज की, 25 हजार का जुर्माना लगाया

Update: 2024-10-09 04:48 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा को राज्यसभा से अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका को 25 हजार रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया।

जस्टिस संजीव नरूला ने एडवोकेट अमित कुमार दिवाकर की याचिका खारिज की, जिन्होंने आरोप लगाया कि मिश्रा, BCI के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए, जो वैधानिक निकाय है, वह साथ राज्यसभा के मौजूदा सदस्य के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं।

मिश्रा बिहार से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए। वे एनडीए के उम्मीदवार थे।

न्यायालय ने कहा कि दिवाकर ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में उल्लिखित चुनावों को चुनौती देने की व्यवस्था को दरकिनार किया।

इसमें कहा गया कि दिवाकर न तो मतदाता हैं और न ही संबंधित चुनाव में उम्मीदवार हैं। इसलिए उनके पास चुनाव याचिका शुरू करने के लिए आवश्यक अधिकार नहीं है।

न्यायालय ने कहा,

"संवैधानिक और वैधानिक ढांचे में यह प्रावधान है कि चुनावों को चुनौती अधिनियम के तहत निर्धारित तरीके से दी जानी चाहिए। न्यायालय रिट याचिकाओं को इस स्थापित प्रक्रिया को दरकिनार करने के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में काम करने की अनुमति नहीं दे सकते।"

इसमें यह भी कहा गया,

"इसलिए चुनाव याचिका दायर किए बिना इस न्यायालय के रिट क्षेत्राधिकार को लागू करने का याचिकाकर्ता का निर्णय कानूनी सिद्धांतों के गलत इस्तेमाल के बराबर है। रिट याचिका के रूप में प्रच्छन्न दावा मूल रूप से प्रतिवादी नंबर 5 (मिश्रा) के चुनाव को चुनौती देने का एक प्रयास है, जिसकी वर्तमान कार्यवाही में जांच नहीं की जा सकती।"

जस्टिस नरूला ने आगे कहा कि मिश्रा को अयोग्य ठहराने के लिए कदम उठाने के लिए केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय को निर्देश देने के लिए दिवाकर द्वारा रिट मांगने का प्रयास गलत था।

न्यायालय ने कहा,

"अनुच्छेद 102(1) के तहत अयोग्यता केवल कुछ आरोपों या अनुमानों के आधार पर स्वतः नहीं हो सकती। इसके लिए संविधान द्वारा निर्धारित औपचारिक जांच और तर्कसंगत निर्धारण की आवश्यकता है।"

इसमें यह भी कहा गया कि दिवाकर का यह आरोप कि मिश्रा कथित तौर पर लाभ के पद पर हैं, संवैधानिक प्रक्रिया की अवहेलना करते हुए मंत्रालय को निर्देश जारी करने का आधार नहीं बन सकता।

अदालत ने कहा,

"इसलिए विधि एवं न्याय मंत्रालय तथा भारत के चुनाव आयोग को आदेश देने के लिए याचिकाकर्ता का अनुरोध अस्वीकार्य है। इस पर इस अदालत द्वारा विचार नहीं किया जा सकता।"

इसमें यह भी कहा गया,

"अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि जो व्यक्ति इन मानदंडों को पूरा नहीं करता, वह चुनाव याचिका नहीं रख सकता। उपर्युक्त सिद्धांतों के आलोक में यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता न तो मतदाता है, न ही संबंधित चुनाव में उम्मीदवार है। इसलिए उसके पास चुनाव याचिका शुरू करने के लिए आवश्यक अधिकार नहीं है।"

अदालत ने आगे कहा,

"परिणामस्वरूप, यह अदालत पाती है कि वर्तमान याचिका में न केवल योग्यता का अभाव है, बल्कि यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग भी है, जिसका उद्देश्य उचित उपचार को दरकिनार करना है। तदनुसार, याचिका को 25,000/- रुपये के जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है। याचिकाकर्ता को आज से चार सप्ताह के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करना होगा।

याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुआ।

केस टाइटल: अमित कुमार दिवाकर बनाम भारत संघ सचिव एवं अन्य के माध्यम से।

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