दिल्ली हाईकोर्ट ने घरेलू उड़ानों में कृपाण ले जाने के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की

Update: 2022-12-22 05:22 GMT

घरेलू उड़ानों में कृपाण ले जाने की अनुमति 

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने घरेलू उड़ानों में कृपाण ले जाने की अनुमति देने वाली अधिसूचना के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज की।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी।

एडवोकेट हर्ष विभोर सिंघल की ओर से दायर जनहित याचिका में सिख यात्रियों को कृपाण ले जाने की अनुमति देने वाली अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। अधिसूचना के अनुसार, सिख यात्रियों को कृपाण ले जाने की अनुमति दी गई है, बशर्ते इसके ब्लेड की लंबाई 15.24 सेमी (6 इंच) से अधिक न हो; और कृपाण की कुल लंबाई 22.86 सेमी (9 इंच) से अधिक नहीं होनी चाहिए। भारत के भीतर भारतीय विमानों पर हवाई यात्रा करते समय कृपाण ले जाने की अनुमति है।

याचिका में कहा गया कि जारी अधिसूचना सिख भारतीय नागरिकों के लिए प्रयोज्यता को अलग नहीं करती, जिससे यह दावा किया जाता है कि अन्य देशों के सिख यात्री भी घरेलू मार्गों पर किसी भी भारतीय विमान में यात्रा करते समय व्यक्तिगत रूप से कृपाण ले जा सकते हैं।

याचिका में कहा गया था,

"अगर राज्य अपने धार्मिक नुस्खे और पवित्रता को बनाए रखने के लिए भारत में उड़ानों में व्यक्ति पर कृपाण ले जाने की मांग को स्वीकार कर लेता है तो उन देशों में ऐसी निर्देशात्मक पवित्रता का क्या होता है जहां विमानन नीति में कृपाण ले जाना प्रतिबंधित है? कृपाण को अनिवार्य तौर पर अपने साथ रखते से क्या आस्था अपवित्र हो जाती है और क्या इसे केवल चेक-इन बैगेज में ही ले जाया जाता है? भारतीय उड़ानों में व्यक्ति के कैरिज द्वारा धार्मिक आस्था कैसे पवित्र होती है, वहीं अन्य देशों में चेक-इन बैगेज में कैरिज द्वारा पवित्र हो जाती है?"

याचिका में यह भी तर्क दिया गया था कि लागू अधिसूचना कानूनी रूप से गलत है। इसने नागरिक उड्डयन सुरक्षा प्रोटोकॉल और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का "उल्लंघन" किया है। याचिका में कहा गया कि अधिसूचना बिना सोचे-समझे जारी की गई है, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर किया जाता है।

याचिका में आगे कहा गया था,

"विशेष धर्म की मांगों को पूरा करने के लिए राज्य बिना किसी तथ्यात्मक आधार के बिना किसी तथ्यात्मक आधार पर कृपाणों को अप्रतिबंधित अनुमति देकर सतर्कता की आवश्यकता की अवहेलना नहीं कर सकता है। वह यह नहीं कह सकता कि नागरिक उड़ानों में कैरिज जोखिम पैदा नहीं करता है या जोखिम बढ़ाता है।"

केस टाइटल: हर्ष विभोर सिंघल बनाम कैबिनेट सचिव भारत सरकार व अन्य

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