हाईकोर्ट ने महिला जज के साथ अपमानजनक भाषा प्रयोग करने और उन्हें धमकाने का प्रयास करने वाले वकील को किया बरी

Update: 2025-10-27 05:06 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला जज के साथ दुर्व्यवहार करने और अपमानजनक एवं धमकाने वाली भाषा का प्रयोग करके उन्हें धमकाने के आपराधिक अवमानना ​​मामले में वकील को बरी किया।

जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने वकील द्वारा दी गई बिना शर्त माफ़ी स्वीकार कर ली और उसे अवमानना ​​कार्यवाही से मुक्त कर दिया।

न्यायिक मजिस्ट्रेट (NI Act) के रूप में तैनात महिला जज को मार्च में शिकायत प्राप्त हुई थी। आरोप लगाया गया कि वकील ने कार्यवाही के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें धमकाया।

कार्यवाही के दौरान, वकील ने अपने आचरण और व्यवहार के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगते हुए हलफनामा दायर किया। वकील ने माफ़ी और मामले में अपनी बरी करने की मांग की।

इसके बाद पीठ ने उसे संबंधित महिला जज के समक्ष उपस्थित होने और उनसे लिखित रूप में बिना शर्त माफ़ी मांगने को कहा था।

कोर्ट ने जज से प्राप्त रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया कि अवमाननाकर्ता वकील 18 सितंबर को उनके समक्ष उपस्थित हुआ और लिखित रूप से माफ़ी मांगी।

रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेते हुए खंडपीठ ने नोट किया कि वकील ने एक बार फिर अपने आचरण के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगी और किसी भी न्यायिक कार्यवाही के दौरान स्वयं को प्रस्तुत करने में अत्यधिक सावधानी बरतने का वचन दिया।

इसके अलावा, वकील ने खंडपीठ को आश्वासन दिया कि वह न्यायालय की मर्यादा और गरिमा को हमेशा बनाए रखेगा और भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं दोहराएगा।

तदनुसार, न्यायालय ने आदेश दिया:

"उपरोक्त के मद्देनजर, यह न्यायालय उपरोक्त बिना शर्त माफ़ी स्वीकार करते हुए प्रतिवादी - अवमाननाकर्ता को अवमानना ​​कार्यवाही से मुक्त करता है। तदनुसार, अवमानना ​​कार्यवाही समाप्त की जाती है।"

Title: COURT ON ITS OWN MOTION v. HARESH SINGH, ADVOCATE

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