"जघन्य अपराध": दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग की तस्करी करने वाली महिला को जमानत से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 साल की नाबालिग आदिवासी लड़की की तस्करी की आरोपी महिला को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कम उम्र की एक मासूम लड़की को जघन्य अपराधों का शिकार बनाया गया और कई लोगों द्वारा गंभीर रूप से दुर्व्यवहार, शोषण और प्रताड़ित किया गया।
जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा,
"भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 370 और धारा 376 के तहत अपराध गंभीर प्रकृति के हैं और इसके प्रतिकूल सामाजिक प्रभाव हैं। याचिकाकर्ता पर एक नाबालिग लड़की की तस्करी का आरोप लगाया गया है, जो अपने आप में एक जघन्य अपराध है।"
एफआईआर भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 370, 376 डी, 376 (2) (एन), 323, 506, 120 बी और धारा 34 के तहत दर्ज की गई।
शिकायतकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन दिया। उसने कहा कि वह झारखंड की आदिवासी लड़की है और उसे काम की तलाश में झारखंड से दिल्ली लाया गया था। यह कहा गया कि उसे आरोपी आनंद और चिंतामणि के साथ एक घरेलू नौकरानी के रूप में रखा गया, जो एक प्लेसमेंट कार्यालय चला रहे हैं।
यह भी कहा गया कि एक साल काम करने के बाद उसे जबरदस्ती आनंद के घर एक नौकरानी के रूप में लाया गया। हालांकि, जब भी शिकायतकर्ता वेतन की मांग करती तो उसे भुगतान से इनकार कर दिया जाता और इसके बदले उसे प्रताड़ित किया जाता।
आरोप है कि आनंद ने शिकायतकर्ता के घर में रहते हुए उसके साथ कई बार बलात्कार किया और जब भी शिकायतकर्ता ने यह बात चिंतामणि को बताई तो वह उसके साथ मारपीट करता और किसी को इस बारे में न बताने की धमकी देता।
एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया कि आरोपी व्यक्तियों आनंद और चिंतामणि ने शिकायतकर्ता को उत्तर प्रदेश में याचिकाकर्ता के पास भेजा और याचिकाकर्ता ने फिर शिकायतकर्ता को हरियाणा भेज दिया।
आरोप है कि एक अन्य आरोपी शिकायतकर्ता के साथ दुष्कर्म करता है और उसके साथ गुलाम जैसा व्यवहार करता है। उसने शिकायतकर्ता को यह भी बताया कि उसने उसे याचिकाकर्ता से दो लाख रुपये में खरीदा है।
एफआईआर के अनुसार शिकायतकर्ता एक रात उक्त आरोपित के घर से भाग कर अपने परिचित अशोक के पास दिल्ली आ गई। इसके बाद उन्होंने सभी आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ एआफईआर दर्ज होने की सूचना मिलने पर न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और 20 मार्च, 2021 को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
अदालत ने कहा,
"शिकायतकर्ता एक आदिवासी लड़की है, जिसे काम की तलाश में झारखंड से दिल्ली लाया गया, जब वह केवल 14 वर्ष की थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कम उम्र की एक मासूम लड़की के साथ इस तरह के जघन्य अपराधों किए गए जैसा कि उसकी शिकायत में आरोप लगाया गया है और उसे एफआईआर में आरोपी कई लोगों द्वारा गंभीर रूप से दुर्व्यवहार, शोषण और प्रताड़ित किया गया है।"
मामले के तथ्यों, एफआईआर की सामग्री और अपराधों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार कर दिया।
तदनुसार, याचिका खारिज कर दी गई।
केस शीर्षक: पूनम बनाम राज्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 218
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