दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूनतम आयु मानदंड को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम राहत देते हुए डीएचजेएस एग्जाम, 2022 टाला

Update: 2022-03-07 06:00 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हायर ज्यूडिशल सर्विस एग्जाम (डीएचजेएस), 2022 में उपस्थित होने के लिए 35 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतरिम राहत देते उक्त परीक्षा को चार सप्ताह के लिए टाल दिया।

जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात अप्रैल की तारीख तय करते हुए हाईकोर्ट रजिस्ट्रार और दिल्ली सरकार के कानून एवं न्याय विभाग के माध्यम से जवाब मांगा।

परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र भरने की अंतिम तिथि 12 मार्च निर्धारित की गई, जबकि प्रारंभिक परीक्षा की तिथि 20 मार्च निर्धारित की गई।

कोर्ट ने आदेश दिया,

"हालांकि, इस न्यायालय का विचार है कि चूंकि न्यूनतम आयु सीमा दो साल के अंतराल के बाद फिर से पेश की गई, इसलिए मामलों पर विचार करने की आवश्यकता है। प्रतिवादियों द्वारा दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर किया जाए। उक्त हलफनामा 07 अप्रैल, 2022 को सूचित सुनवाई की अगली तारीख से पहले दायर किया जाए।"

इसमें कहा गया,

"प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे ऑनलाइन आवेदन पत्र भरने की तारीख को सुनवाई की अगली तारीख से आगे बढ़ा दें।"

याचिका दो अधिवक्ताओं निशा तोमर और मोहित गुप्ता की ओर से दायर की गई। याचिकाकर्ता डीएचजेएस 2022 के इच्छुक हैं। हालांकि, गणना की तारीख यानी एक जनवरी, 2022 को 35 वर्ष की आयु पूरी करने के अभाव में अपात्र हो गए।

अधिवक्ता आदित्य कपूर, मनिका गोस्वामी, मेधा टंडन, कुशाल कुमार, हर्ष आहूजा और आकाशदीप गुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में डीएचजेएस रूल, 1970 में संशोधन करने वाली आठ फरवरी, 2022 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई। इसमें नियम 9 (3) और उसके बाद प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा जारी दिनांक 23 फरवरी, 2022 का विज्ञापन के प्रावधान शामिल हैं।

याचिकाकर्ता उस अधिसूचना से व्यथित हैं। इसके तहत बार से डीएचजेएस एग्जाम में बैठने के लिए न्यूनतम आयु सीमा पहले के भर्ती नियमों में संशोधन करके पेश की गई।

याचिका में कहा गया,

"निम्न आयु सीमा का पूर्वोक्त निर्धारण भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन है।"

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता एएस चांडियोक और मोहित माथुर ने किया।

याचिका में कहा गया कि उम्र के आधार पर अवसर से इनकार करना बुरा है और संविधान के प्रावधान जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष निर्धारित नहीं करते हैं।

याचिका में कहा गया,

"उम्मीदवारों की वैध अपेक्षा का एक सिद्धांत है कि डीएचजेएस एग्जाम के लिए निचली आयु सीमा को मनमाने तरीके से फिर से शुरू नहीं किया जाएगा, खासकर जब हाल ही में निचली आयु सीमा को हटा दिया गया। पिछली परीक्षा में नियुक्त उम्मीदवारों को भी इस आयु वर्ग के थे। तदनुसार, लागू अधिसूचना और उसके बाद के विज्ञापन रद्द करने के लिए उत्तरदायी हैं।"

शीर्षक: निशा तोमर और अन्य बनाम दिल्ली हाईकोर्ट और अन्य।

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