कोरोना फैलाने का आरोप लगाते हुए महिला डॉक्टरों से छेड़खानी करने के आरोपी को दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़मानत दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को ज़मानत दे दी है जिसने सफ़दरजंग अस्पताल में काम करने वाली महिला डॉक्टरों के साथ यह आरोप लगाते हुए छेड़खानी की थी कि वह COVID-19 का संक्रमण फैला रही हैं।
ज़मानत देते हुए एकल पीठ के जज न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने कहा कि देश बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है और डॉक्टर देश की सेवा में लगे हैं।
याचिककर्ता ने ज़मानत की माँग की थी और अपने ख़िलाफ़ दायर एफआईआर को निरस्त करने का अनुरोध भी किया था। एफआईआर में लगाए गए आरोपों के अनुसार, शिकायतकर्ता (डॉक्टर) अपनी बहन के साथ फल ख़रीदने के लिए गई थी जहां एक व्यक्ति सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में बोलने लगा और कहा कि उनके जैसे डॉक्टर आवासीय इलाक़े में वायरस का संक्रमण फैला रहे हैं।
शिकायतकर्ता ने इसके बाद याचिककर्ता को बताया कि उसे सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में पता है और उसे समझाने लगा पर वह व्यक्ति गाली गलौज पर उतर आया और धमकी दी कि वह उनके ख़िलाफ़ मामला दायर कर देगा।
आरोप है कि जब शिकायतकर्ता उस जगह से जाने लगीं तो याचिकाकर्ता ने उन पर हमला किया और अनुचित तरीक़े से उनको छुआ भी। इस समय न्यायिक हिरासत में चल रहे याचिककर्ता ने कहा कि वह सोशल डिसटेंसिगं को बरकरार रखे जाने की बात को लेकर चिंतित था।
उसने आरोप लगाया कि उसे ग़लत तरीक़े से फंसाया गया है और उसने तो सिर्फ़ शिकायतकर्ता और उसकी बहन द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने का विरोध किया था। पर इस पर दोनों ही महिलाएं काफ़ी ग़ुस्सा हो गईं और कहा कि वे डॉक्टर हैं और उन्हें पता है कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब क्या है।
दलील दी गई कि इस घटना के तुरंत बाद शिकायतकर्ताओं ने इंटर्व्यू दिया जिसमें छेड़खानी की बात नहीं की।
राज्य के वक़ील ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और डॉक्टरों का शुक्रिया अदा करने की बजाय उन पर हमला किया और उनके साथ छेड़छाड़ की।
अदालत ने याचिकाकर्ता को ₹20,000 का बॉन्ड भरने पर ज़मानत देते हुए कहा, "याचिकाकर्ता पढ़ा लिखा है और पेशे से डिज़ायनर है, उसे डॉक्टरों के प्रति आदर दिखाना चाहिए था न कि उन्हें धमकाना चाहिए था।"