दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने सीजेआई चंद्रचूड़ की नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज करने के आदेश पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
सीजेआई चंद्रचूड़ की नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज करने के आदेश पुनर्विचार की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि उन्होंने जनहित याचिका को खारिज करने का आदेश पारित किया था। इसलिए उसी पीठ के लिए पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करना उचित नहीं होगा।
याचिकाकर्ता संजीव कुमार तिवारी ने जनहित याचिका में तर्क दिया है कि जस्टिस चंद्रचूड़ की नियुक्ति संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन में की गई है। उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ की नियुक्ति पर तत्काल रोक लगाने की प्रार्थना की थी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि पुनर्विचार याचिका निंदनीय है।
पीठ ने नवंबर 2022 में जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह "प्रचार प्राप्त करने वाली याचिका है।
अदालत ने यह भी नोट किया था कि जनहित याचिका में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के खिलाफ बिना किसी सबूत के कई निंदनीय आरोप लगाए गए हैं।
तिवारी, जिन्होंने खुद को "भारत के राष्ट्र का एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित बुद्धिमान आम नागरिक" कहा, ने जनहित याचिका में कहा कि नए सीजेआई के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जांच की जानी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका देशद्रोही और नक्सली ईसाई आतंकवादी से किसी भी तरह का संबंध नहीं है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि जस्टिस चंद्रचूड़ प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने वाले देशद्रोहियों को नष्ट करने में जागरूक होंगे।
केस टाइटल: संजीव कुमार तिवारी बनाम भारत सरकार और अन्य