दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों, कर्मचारियों को बिना वैक्सीनेशन के काम की अनुमति नहीं देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2021-10-25 06:24 GMT
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों, कर्मचारियों को बिना वैक्सीनेशन के काम की अनुमति नहीं देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को 15 अक्टूबर तक वैक्सीनेशन नहीं कराने की स्थिति में स्कूलों में आने की अनुमति नहीं देने वाले दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

एक निजी सहायता प्राप्त स्कूल में कार्यरत एक शिक्षक द्वारा दायर याचिका में नौ अगस्त और 29 सितंबर के परिपत्रों को चुनौती दी गई। इन परिपत्रों के अनुसार, COVID-19 वैक्सीन नहीं लेने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों की अनुपस्थिति को छुट्टी के रूप में मानने का निर्देश दिया गया है।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से दिल्ली और केंद्र सरकार से जवाब मांगा और मामले को तीन फरवरी, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

कोर्ट ने आदेश दिया,

"यदि कोई जवाबी हलफनामा हो तो छह सप्ताह के भीतर दायर किया जाए। उसके बाद यदि कोई हो जवाब तो चार सप्ताह के भीतर दायर किया जाए।"

याचिकाकर्ता का मामला यह है कि कई बीमारियों से पीड़ित होने के कारण वह पिछले कई वर्षों से कोई एलोपैथिक उपचार नहीं ले रहा है।

तद्नुसार उसने प्रार्थना की कि उसे मेडिकल आधार पर COVID-19 वैक्सीन लेने से छूट प्रदान की जाए।

दूसरी ओर, दिल्ली सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार ने दोनों विवादित परिपत्रों का बचाव किया। उन्होंने प्रस्तुत किया कि हाल ही में प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के माता-पिता से स्कूल को जल्द से जल्द फिर से खोलने के लिए अनुरोध प्राप्त हुए थे इसलिए, यदि उचित सावधानी नहीं बरती जाती है और सभी शिक्षकों सहित पूरे स्कूल स्टाफ का वैक्सीनेशन नहीं किया जाता है तो यह एक बार फिर से COVID-19 के प्रसार का कारण बन सकता है।

पिछली सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता को एक अतिरिक्त हलफनामे के साथ अतिरिक्त दस्तावेजों को रिकॉर्ड में रखने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था ताकि यह दिखाया जा सके कि क्या उसकी याचिका का समर्थन करने के लिए कोई मेडिकल एडवाइजरी है, जो उस पर वैक्सीन या कोई एलोपैथिक उपचार लेने से कोई प्रतिकूल प्रभाव डाल सकने के बारी में बताती है।

अदालत ने शुक्रवार को आदेश दिया,

"हालांकि याचिकाकर्ता ने अवसर के बावजूद इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि यह न्यायालय पहले से ही डब्ल्यू.पी. (सी) 11845/2021 में इस पहलू की जांच कर रहा है, कोई अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल नहीं किया।"

अब इस मामले की सुनवाई तीन फरवरी को होगी।

केस शीर्षक: डॉ रविंदर प्रताप बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और अन्य।

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