दिल्ली हाईकोर्ट ने तम्बाकू विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने व तम्बाकू कंपनियों के श्रमिकों की सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2020-02-11 03:15 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने तंबाकू उत्पाद 'चैनी खैनी' के सरोगेट या नायब विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर स्वास्थ्य मंत्रालय व अन्य को नोटिस जारी किया है।

चीफ जस्टिस डी.एन पटेल और जस्टिस हरि शंकर की डिवीजन बेंच ने उक्त मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर अपना जवाब दाखिल करे, अन्यथा जुर्माना लगाया जाएगा।

वर्तमान याचिका श्रमिकों व साथ में बच्चों के मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए दायर की गई है। यह बच्चे तम्बाकू उत्पाद 'चैनी खैनी' के निर्माण, पैकिंग, बिक्री और विज्ञापन के लिए प्रतिनिधि कंपनी के साथ काम कर रहे हैं।

यह तर्क दिया गया है कि उक्त कंपनी डब्ल्यूएचओ के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) के अनुच्छेद 13 का उल्लंघन करते हुए 'चैनी खैनी' का विज्ञापन कर रही है, जो तंबाकू उत्पादों के लिए सरोगेट या नायब विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है।

इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि उक्त विज्ञापन सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों (Cigarettes and Other Tobacco Products (Prohibition of Advertisement and Regulation of Trade, Commerce, Production, Supply and Distribution) Act, 2003) की धारा 5 का भी उल्लंघन हैं। यह कहा गया है कि-

'प्रतिनिधि कंपनी स्वास्थ्य लाभ के साथ हर्बल उत्पाद के रूप में चैनी खैनी का विज्ञापन करती है, जिसे सिगरेट के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उक्त उत्पाद के पैकेट पर कोई वैधानिक चेतावनी नहीं है।'

तम्बाकू अधिनियम के अलावा, याचिकाकर्ता ने विभिन्न श्रमिक कल्याण विधानों जैसे कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, दिल्ली की दुकानें और प्रतिष्ठान अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम, ट्रेड यूनियन अधिनियम, आदि के उल्लंघन का भी हवाला दिया है।

यह भी उजागर किया गया है कि प्रतिनिधि कंपनी अपने तंबाकू उत्पादों के लिए प्लास्टिक पैकेजिंग का उपयोग कर रही है जो 'अंकुर गुटखा बनाम इंडियन अस्थमा केयर' मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के साथ-साथ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का भी उल्लंघन है। इन उपरोक्त प्राधिकरण ने तंबाकू उत्पादों के लिए प्लास्टिक पैकेजिंग के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।

इसके अलावा, याचिकाकर्ता द्वारा यह भी उजागर किया गया है कि किस तरह से इस कंपनी की विनिर्माण इकाइयां कानूनी रूप से स्थापित मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन कर रही है। बताया गया कि

'रसोई पेंट्री ,विनिर्माण और पैकेजिंग क्षेत्रों के करीब है और खतरनाक तंबाकू उत्पादों के संपर्क में है। यह श्रमिकों के साथ-साथ बच्चों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है।'

इसके अलावा, कोई अपशिष्ट प्रबंधन तंत्र नहीं है, जिसके कारण खुले में अपशिष्ट का निर्वहन किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण हो रहा है और विषाक्त गैस छोड़ी जा रही हैं।

याचिकाकर्ता द्वारा यह भी कहा गया है कि प्रतिवादी कंपनी अपने खाते की पुस्तकों का रखरखाव नहीं कर रही है और कर चोरी भी कर रही है। यह अभी आरोप लगाया गया है कि,'पैकेजिंग मशीनों में भी बूस्टर फिक्स करके हेरफेर किया गया है जिससे उत्पादकता बढ़ जाती है जिससे तंबाकू उत्पादों का उत्पादन काफी हद तक बढ़ जाता है।'

इन दलीलों के आलोक में, याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोर्ट एक विशेष जांच दल गठित करने का निर्देश जारी कर दें जो कंपनी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र रूप से जांच कर सकें।

संबंधित कंपनी के कामगारों या श्रमिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए संबंधित अधिकारियों को परमादेश जारी करने के लिए भी कहा गया है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी कंपनी द्वारा निर्मित तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है।

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