दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्माण कार्य की देखरेख कर रहे इंजीनियर को साइट पर दुर्घटना में घायल बच्चे के शैक्षिक खर्च में योगदान करने का निर्देश दिया, समझौता करने की अनुमति दी

Update: 2022-08-10 06:32 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने चल रहे निर्माण कार्य की देखरेख कर रहे एक साइट इंजीनियर को निर्देश दिया कि वह उस बच्चे के शैक्षिक खर्च में योगदान करें जो साइट पर मौजूद एक बोर्ड के गिरने से घायल हो गया था।

यह निर्देश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक बच्चा 10वीं पास नहीं कर लेता। नाबालिग बच्चा अभी तीसरी कक्षा में है।

एक निजी निर्माण कंपनी में कार्यरत याचिकाकर्ता-इंजीनियर की ओर से लापरवाही का आरोप लगाते हुए नाबालिग बच्चे के पिता द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 283 और 338 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी।

इंजीनियर ने इस आधार पर को रद्द करने की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि विवाद को पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है।

एफआईआर रद्द करते हुए जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने निर्देश दिया,

"बच्चा तीसरी कक्षा में पढ़ रहा है। आवेदक को निर्देश दिया जाता है कि वह 10वीं कक्षा की परीक्षा पास करने तक बच्चे के शैक्षिक खर्च के लिए 1500/- रुपये प्रति माह का भुगतान करे। उसकी पढ़ाई जारी रखने के अधीन यह उम्मीद की जाती है कि पिता यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चा पढ़ाई बंद न करे।"

कोर्ट ने घायल नाबालिग के पिता को बच्चे के नाम पर खाता खोलने का भी निर्देश दिया, जिसमें राशि सीधे ट्रांसफर की जाएगी।

अदालत ने आदेश दिया,

"उपरोक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पार्टियों ने अपनी स्वतंत्र इच्छा के अपने मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया है कार्यवाही जारी रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा, बल्कि यह उनके बीच और अधिक कटुता पैदा करेगा। उपर्युक्त एफआईआर रद्द करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। "

तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।

केस टाइटल: मान सिंह बनाम राज्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एंड अन्य।

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:





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