दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश, फिजिकल एक्जाम 14 सितंबर तक आयोजित करवाएं, पीडब्ल्यूडी श्रेणी के छात्रों के ठहरने और परिवहन की सुविधा देने पर करें विचार

Update: 2020-08-17 15:55 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि वह उन छात्रों की पहचान करे जो शारीरिक रूप सेे (फ़िज़िकल) परीक्षा देने के इच्छुक हैं। साथ ही उनके ठहरने और परिवहन की सुविधा देने के तौर-तरीकों पर विचार करें।

दिल्ली विश्वविद्यालय के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भी निर्देश दिया गया है कि एक हलफनामा दायर करें और बताएं कि शारीरिक रूप से परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्रों में पीडब्ल्यूडी श्रेणी के छात्रों की आसान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए क्या तौर-तरीकों अपनाए जाने चाहिए।

कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि वह 14 सितंबर तक शारीरिक रूप से परीक्षा आयोजित करवा लें।

वहीं न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय को यह भी निर्देश दिया है कि वह एक रिपोर्ट दायर करके बताएं कि कितने छात्रों ने ऑनलाइन ओपन बुक एक्जाम के लिए ईमेल के जरिए अपनी उत्तर पुस्तिकाएं प्रस्तुत की हैं ताकि संपूर्ण प्रक्रिया की क्षमता के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर का पता लगाया जा सके।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय की तरफ से अदालत को सूचित किया गया कि 10 अगस्त को परीक्षा देने के लिए 38058 छात्रों में से 36663 छात्रों ने पंजीकृत करवाया था और 33957 छात्रों ने वास्तव में उत्तर पुस्तिकाओं को पोर्टल पर अपलोड किया था। पीडब्ल्यूडी श्रेणी के लिए 358 छात्रों को परीक्षा देनी थी। परंतु उनमें से 308 छात्रों ने पंजीकरण करवाया था और 258 छात्रों ने वास्तव में परीक्षा दी थी।

डीयू ने अदालत को यह भी बताया कि

'इन आंकड़ों में उन छात्रों को शामिल नहीं किया गया है जिन्होंने ईमेल के माध्यम से अपनी उत्तर पुस्तिकाएं भेजी थी और उन्हें पोर्टल पर अपलोड नहीं किया था।'

शिकायत निवारण समिति की ओर से पेश हुए श्री बीबी गुप्ता ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों द्वारा भेजे गए शिकायत ईमेल के पासवर्ड अभी उनसे साझा नहीं किए हैं।

श्री गुप्ता ने अदालत को यह भी बताया कि समिति ने स्वतंत्रता दिवस के दिन भी बैठक की थी। उसके बावजूद भी दिल्ली विश्वविद्यालय ने शिकायत निवारण अधिकारियों का विवरण समिति के साथ साझा नहीं किया था।

अदालत ने इस तथ्य पर अपनी निराशा जाहिर की है कि अदालत के आदेश के बावजूद भी शिकायत निवारण समिति को ठीक से काम करने की अनुमति नहीं दी गई है।

अदालत ने विश्वविद्यालय की खिंचाई करते हुए पूछा कि-

'आप पासवर्ड के लिए इतनी गोपनीयता क्यों बनाए हुए हैं? क्यों आप शिकायत निवारण समिति को काम नहीं करने दे रहे हैं? क्या हमें आपके अधिकारियों को अवमानना ​​नोटिस जारी करना चाहिए?'

इसके बाद अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह शिकायत निवारण अधिकारियों के विवरण तुरंत समिति को भेज दें। जिसके बाद मामले की सुनवाई के दौरान ही इस आदेश का पालन कर दिया गया।

याचिकाकर्ता प्रतीक शर्मा ने अदालत को यह भी बताया कि कई छात्र स्नातकोत्तर या पीजी पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन करने में असमर्थ हो रहे हैं क्योंकि विश्वविद्यालय ने उन्हें पांचवें सेमेस्टर की मार्कशीट उपलब्ध नहीं कराई हैं। अदालत को यह भी बताया गया कि कई अन्य विश्वविद्यालय भी पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश चाहने वाले छात्रों से अस्थायी प्रमाण पत्र मांग रहे हैं।

इन तथ्यों के प्रकाश में अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि छात्रों को पिछले सेमेस्टर की डिजिटल मार्कशीट प्रदान करें। इसके अलावा, अदालत ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भी निर्देश दिया है कि वह सभी विश्वविद्यालयों को एक एडवाइजरी जारी करें कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अस्थाई प्रमाण पत्र की मांग न करें। चूंकि यूजीसी के स्वयं के दिशानिर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालयों को स्नातक पाठ्यक्रम की परीक्षा समाप्त करने के लिए सितंबर के अंत तक का समय दिया गया है।

विदेशों के विश्वविद्यालयों में आवेदन करने वाले छात्रों के लिए, अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि उन छात्रों के लिए एक ईमेल आईडी बना दें जिन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रोविजनल एडमीशन प्राप्त किया है, लेकिन परिणामों की घोषणा में देरी के कारण अपने अस्थाई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर सके हैं।

ये छात्र उक्त आईडी पर एक मेल भेजकर अपने कोर्स का विवरण दे देंगे। जिसके बाद विश्वविद्यालय इन सभी विदेशी विश्वविद्यालयों को 'लेटर ऑफ रिक्वेस्ट' भेज देगा, जिसमें अनुरोध किया जाएगा कि वे परिणाम घोषित करने में हुई देरी के कारण अस्थाई प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता को स्थगित कर दें। 

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