दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंंगोंं की सुनवाई 27 जुलाई तक स्थगित की कहा, जवाब के लिए और समय नहीं दिया जाएगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने पक्षकारों को एक दूसरे पर दस्तावेजों की आपूर्ति को पूरा करने के निर्देश देने के बाद मंगलवार को दिल्ली दंगों में उचित जांच की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई स्थगित कर दी।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ को सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने बताया कि सभी याचिकाओं में एक कॉमन जवाब दाखिल किया गया है।
याचिकाकर्ताओं में से एक जमीयत उलमा ने कहा कि उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा दायर जवाब नहीं मिला है। इस पर एसजी तुषार मेहता ने जमीयत उलमा को आश्वासन दिया कि दिल्ली पुलिस का कॉमन जवाब उन्हें एक घंटे के भीतर भेज दिया जाएगा।
कोर्ट ने सभी पक्षों से उत्तरों की आपूर्ति के मुद्दे को गंभीरता से लेने को कहा ताकि मामले की जल्द ही मेरिट पर सुनवाई हो सके
अदालत ने कहा, 'यह मामला किसी दिन तो शुरू होना चाहिए।'
कोर्ट ने सभी पक्षों को यह भी सूचित किया कि जवाब के लिए उन्हें और समय नहीं दिया जाएगा।
कोर्ट ने कहा, 'कृपया जवाब लेने के लिए अपनी मांग बताएं। इस मामले को किसी दिन तो शुरू करना है। '
अदालत इस मामले को 27 जुलाई को उठाएगी।
जमीयत उलमा ने प्रस्तुत किया कि उन्होंने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की तथ्य खोज रिपोर्ट का समर्थन किया और उसे रिकॉर्ड पर रखना चाहते हैं।
एसजी ने प्रस्तुत किया कि पार्टियों को रिकॉर्ड पर पहले से ही मौजूद सामग्री पर कायम रहना चाहिए। एसजी कोर्ट ने कहा,
'हम दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने से पहले जवाब दाखिल करना चाहेंगे।'
जमीयत उलमा ने यह भी कहा कि दंगों के वीडियो फुटेज का संरक्षण, जैसा कि इस मामले की पहली सुनवाई में किया गया था, अभी भी दिल्ली पुलिस द्वारा लागू नहीं किया गया है और उसने दंगों के वीडियो फुटेज के संरक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत नहीं की है।
इस सबमिशन को एसजी ने नकार दिया था।
दिल्ली पुलिस ने मामले में हलफनामा देते हुए कहा गया है कि राजनेताओं जैसे कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा आदि को दंगों से जोड़ने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है।