दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों को फ़ीस बढ़ाने, कर्मचारियों का वेतन रोकने से मना किया, उल्लंघन करने पर सख़्त जुर्माने की चेतावनी दी

Update: 2020-04-19 04:15 GMT

शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार ने सभी निजी और ऐसे स्कूल जिन्हें सरकारी सहायता नहीं मिलती है उन्हें दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम का उल्लंघन नहीं करने को कहा है। इन स्कूलों से यह भी कहा गया है कि वे COVID-19 को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने जो नियम बनाए हैं उनका उल्लंघन नहीं करें।

शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों को अकादमिक वर्ष 2020-21 के लिए फ़ीस नहीं बढ़ाने को कहा है साथ ही पहली तिमाही का फ़ीस जमा करने को भी नहीं कहने का आदेश दिया है।

निजी स्कूलों से यह भी कहा गया है कि वे शैक्षिक कर्मचारियों का न तो वेतन कम करें और न ही वेतन का भुगतान रोकें। यह भी कहा गया है कि जो पेरेंट्स वित्तीय मुश्किलों की वजह से फ़ीस नहीं भर पाए हैं उनके बच्चे को ऑनलाइन क्लास और शैक्षिक मटीरीयल्ज़ को एक्सेस करने से नहीं रोका जाए।

शिक्षा निदेशालय ने COVID-19 महामारी को देखते हुए दिल्ली एपिडेमिक डिसीस COVID-19 रेग्युलेशन 2020, महामारी अधिनियम के तहत देशव्यापी लॉकडाउन को देखते हुए इस बात पर संज्ञान लिया है।

शिक्षा निदेशालय को बताया गया कि कुछ निजी स्कूल दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा 17(3) का उल्लंघन कर रहे हैं। इन स्कूलों ने फ़ीस बढ़ाने के लिए निदेशालय से पूर्व अनुमति नहीं ली जबकि इनके स्कूल डीडीए की ज़मीन पर बने हैं।

इसके अलावा कुछ स्कूल नए-नए खर्चे के अंतर्गत छात्रों से राशि वसूलना शुरू कर दिया है जो कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के ख़िलाफ़ है।

डीएसईएआर के नियम 165 में स्पष्ट कहा गया है कि पेरेंट्स लंबी छुट्टी के बाद स्कूल के खुलने के 10 दिनों के भीतर फ़ीस जमा करेंगे।

निदेशालय ने यह भी कहा कि लॉकडाउन के कारण को -करिकुलर गतिविधियों, खेल, परिवहन और अन्य विकासपरक कार्यों पर खर्चे नहीं हो रहे हैं क्योंकि ये गतिविधियां ठप हैं।

इस स्थिति में निजी और बिना सहायता प्राप्त स्कूलों से सिर्फ़ ट्यूशन फ़ीस ही लेने का निर्देश दिया जाता है और अगले आदेश तक वे कोई और फ़ीस नहिं वसूल सकते। ट्यूशन फ़ीस हर महीने ली जानी चाहिए न कि तीन माह पर।

फिर कोई स्कूल फ़ीस नहीं बढ़ा सकता, विशेषकर ऐसे स्कूल जिनकी इमारत डीडीए की ज़मीन पर बनी है या जब तक कि इस बारे में कोई आदेश नहीं आ जाता।

स्कूलों से कहा गया है कि वे सभी छात्रों को ऑनलाइन क्लासेस/मटेरियल की सुविधा उपलब्ध कराएंगे और इस बारे में कोई भेदभाव नहीं करेंगे। इस तरह की सुविधाओं को ऐसे छात्रों को देने से इंकार नहीं किया जा सकता जिनके मां-बाप ने आर्थिक दिक्कत की वजह से फ़ीस नहीं जमा कराया है।

स्कूलों को खर्चे के नए मदों का इजाद करने से रोका गया है साथ शैक्षिक और ग़ैर-शैक्षिक कर्मचारियों का वेतन रोकने या उसमें कटौती करने से भी मना किया गया है। 

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