दिल्ली की अदालत ने आरोपी के घर से अवैध हथियार बरामद होने पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज करने पर चिंता व्यक्त की
दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक आरोपी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act) के कड़े प्रावधानों को लागू करने पर चिंता व्यक्त की। आरोपी के घर से केवल अवैध रूप से हथियार की बरामदगी हुई थी और इस आधार पर दावा किया गया कि वह आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है। अदालत ने घर हथियार बरामद होने के एकमात्र आधार पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने को बहुत स्थिति कहा।
विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यूएपीए के तहत दर्ज अपराध में एक आदिश कुमार जैन को आरोप मुक्त (discharge) कर दिया। आरोपी के खिलाफ यह आरोप लगाया गया था कि उसने सह-आरोपी दिनेश गर्ग के साथ सऊदी अरब में अपने सहयोगियों के साथ सक्रिय रूप से मिलीभगत से अवैध रूप से आतंकवादी धन एकत्र किया और वह सोने की तस्करी गतिविधियों में लिप्त है।
अदालत के इस सवाल पर कि मामले में जैन को किस आधार पर आरोपी बनाया गया है? एनआईए ने कहा कि उसे आरोपी नहीं बनाया जाता, यदि उसके घर से अवैध हथियार की बरामदगी नहीं हुई होती।
अदालत ने कहा,
"यह एक बहुत ही आश्चर्यजनक सबमिशन है और यह एक दुखद स्थिति का खुलासा करता है जहां पुलिस अधिकारियों ने एक व्यक्ति को उस अपराध के लिए पीड़ित किया जो उसने नहीं किया और सिर्फ उसके घर से अवैध हथियारों की बरामदगी के कारण मामला बनाया। व्यक्ति को उसके घर से गिरफ्तार किया गया है और यूएपीए के कड़े प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है और उस पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का दावा किया गया।"
कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपी आदिश कुमार जैन के खिलाफ या तो साजिश में शामिल होने या किसी आतंकवादी गतिविधियों या आतंकी फंडिंग से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने का कोई सबूत नहीं है।
चार्जशीट में आरोप लगाया गया था कि 2017 में सह आरोपी शेख अब्दुल नईम को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार किया गया था, जो कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) स्थित पाकिस्तान के मुख्य गुर्गों से भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने में शामिल था।
जांच के दौरान पता चला कि सह आरोपी बेदार बख्त, तौसीफ अहमद मलिक उर्फ टीपू, मफूज आलम, हबीब उर रहनाम और अमजद उर्फ रेहान उर्फ अब्दुल अजीज उर्फ वली ने शेख अब्दुल नईम को आश्रय, रसद, मोबाइल फोन मुहैया कराया था और उसके लिए धन और फर्ज़ी पहचान में भी उसकी मदद की।
आगे अभियोजन का मामला था कि अब्दुल समद, दिनेश गर्ग और आदिश कुमार जैन सऊदी अरब से प्राप्त धन प्राप्त करने, एकत्र करने और वितरित करने में शामिल थे।
यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपी जावेद हवाला नेटवर्क के माध्यम से सऊदी अरब से नईम के लिए 3.5 लाख रुपये की राशि जुटाने और भेजने में शामिल था और उसे देने में विफल रहने पर उसे आरोपी अब्दुल समद के माध्यम से अपने पिता आरोपी मोहम्मद इमरान को सौंप दी।।
तलाशी के दौरान जैन के घर से अवैध रूप से हथियार और गोला-बारूद जब्त किया गया, जिसमें एक काले रंग का किंग कोबरा पिस्टल, "नॉरिनको" द्वारा चीन में बनाया गया था, साथ ही एक पत्रिका और गोला-बारूद भी बरामद हुआ।
यह आगे प्रस्तुत किया गया कि जैन ने सऊदी अरब से भारत में फंड ट्रांसफर करने के लिए सऊदी अरब में अपने सहयोगियों के लिए हवाला ऑपरेटर के रूप में काम करने वाले अब्दुल समद को भारी मात्रा में धन भेजा था। इसके अलावा, यह भी जोड़ा गया था कि आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए सऊदी अरब से भारत में आतंकी फंड पंप करने के लिए उसी चैनल का इस्तेमाल किया गया था।
यह आगे प्रस्तुत किया गया था कि अभियोजन पक्ष ने जैन और दिनेश गर्ग के संबंध को टेरर फंडिंग से स्थापित किया था जब अब्दुल समद ने नईम को धन देने की कोशिश की थी।
अदालत ने मामले में आदिश कुमार जैन को आरोपमुक्त करने के अलावा सरकारी गवाह अब्दुल समद, दिनेश गर्ग और गुल नवाज समेत अन्य सह आरोपियों को भी आरोप मुक्त कर दिया। हालांकि, यूएपीए और आईपीसी के तहत पांच आरोपी व्यक्तियों शेख अब्दुल नईम, बेदार बख्त उर्फ धन्नू राजा, तौसीफ अहमद मलिक उर्फ टीपू, हबीब-उर-रहमान और जावेद के खिलाफ आरोप तय किए गए।
आरोप के मुताबिक, जो राशि प्राथमिक आरोपी शेख अब्दुल नईम को देनी थी, उसे अब्दुल समद ने आरोपी दिनेश गर्ग से आरोपी गुल नवाज के निर्देश पर लिया था।
न्यायालय ने नोट किया,
"इसलिए यह मामला होने के कारण, आरोपी आदिश कुमार को इस मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता, जब तक कि यह नहीं दिखाया जाता कि इस आरोपी के हवाला लेनदेन के लिए एकत्र किए गए सबूत, जिनमें से कुछ रिकॉर्ड में हैं, यह दर्शाएं कि वह किसी आतंकवादी संगठन के किसी मॉड्यूल को या आतंकवादी संगठन की ओर से आतंकी फंड प्राप्त करने या वितरित करने में शामिल थे। हालांकि, आरोपी आदिश कुमार जैन के खिलाफ इस तरह का कोई आरोप भी नहीं है।"
प्राथमिक आरोपी शेख अब्दुल नईम की संलिप्तता के संबंध में अदालत का विचार था कि प्रथम दृष्टया यह स्थापित किया गया कि वह लश्कर का सदस्य बना रहा और इसके लिए टारगेट चुनने और कैडर की भर्ती के लिए काम कर रहा था।
गुल नवाज़ और दिनेश गर्ग को बरी करते समय अदालत का विचार था कि ऐसी कोई भी परिस्थिति सामने नहीं आई है जो उनके साजिश का हिस्सा होने का गंभीर संदेह पैदा कर सके, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि वे हवाला ऑपरेटर थे और उनके ऑपरेशन के दौरान उन्होंने निर्देश पर काम किया, जो आतंकवादी को पैसे देने के लिए था।
न्यायाधीश ने कहा,
"तदनुसार मैंने पाया कि न तो गवाही के रूप में या परिस्थितियों के रूप में कोई सबूत है जो आरोपी गुल नवाज और दिनेश गर्ग पर इस साजिश में शामिल होने का गंभीर संदेह पैदा करे। इस प्रकार मुझे लगता है कि इन्हें आईपीसी की धारा 120 बी और 17 यूएपीए, 18 यूएपीए, 18 बी यूएपीए, 19 यूएपीए, 20 यूएपीए, 21 यूएपीए, 38 यूएपीए, 39 यूएपीए और 40 यूएपीए के तहत दंडनीय अपराध के तहत दर्ज मुकदमे से आरोप मुक्त किया जाना चाहिए। "
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