दिल्ली कोर्ट ने वकीलों के साथ एडिशनल मीटिंग करने की अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज की

Update: 2024-04-11 03:58 GMT

दिल्ली की एक अदालत ने शराब नीति मामले में न्यायिक हिरासत में चल रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने वकीलों के साथ दो मीटिंग की बजाय पांच साप्ताहिक मीटिंग करने की अनुमति मांगी थी।

स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने कहा कि केजरीवाल अपने लंबित मुकदमों पर चर्चा करने के लिए अपने वकीलों के साथ प्रति सप्ताह दो लीगल मीटिंग की अनुमति का भी उपयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने आवंटित समय का उपयोग "लीगल मीटिंग के अलावा अन्य उद्देश्यों" के लिए किया।

न्यायाधीश ने कहा कि केजरीवाल अदालत को संतुष्ट करने में विफल रहे कि वह प्रति सप्ताह दो अनुमत कानूनी बैठकों का उपयोग केवल अपने वकीलों के साथ लंबित मुकदमों पर चर्चा करने के लिए कर रहे हैं।

अदालत ने कहा,

“जांच एजेंसी द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट/नोट से संकेत मिलता है कि आवेदक ने जल मंत्री, अपने वकील (जिसका नाम उन्होंने जांच एजेंसी को बताने से इनकार किया) को लीगल मीटिंग के दौरान कुछ निर्देश दिए।”

इसमें कहा गया,

“इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदक अपने लंबित मुकदमों पर चर्चा करने के लिए अपने वकीलों के साथ प्रति सप्ताह दो लीगल मीटिंग की अनुमति का भी उपयोग नहीं कर रहा है। उसने उपरोक्त तरीके से लीगल मीटिंग के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए आवंटित समय का उपयोग किया। उपरोक्त टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए विचाराधीन आवेदन खारिज किया जाता है।”

केजरीवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें 21 मार्च की रात को गिरफ्तार किया गया था। 22 मार्च को ट्रायल कोर्ट ने उन्हें छह दिन की ED हिरासत में भेज दिया, जिसे चार दिन के लिए बढ़ा दिया गया। 01 अप्रैल को उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी। इससे पहले उन्होंने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

केजरीवाल ने ED द्वारा उन्हें जारी किए गए नौ समन को नजरअंदाज कर दिया था। इस मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसौदिया और संजय सिंह भी आरोपी हैं। सिसौदिया अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं, सिंह को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी।

अपनी गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल ने तुरंत अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की। हालांकि, बाद में इसे वापस ले लिया गया।

इसके अलावा, उन्होंने पहले केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (डिवीजन बेंच) का रुख किया। उन्होंने अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए आवेदन भी दायर किया। मामले की सुनवाई 22 अप्रैल को तय की गई।

केजरीवाल ने समन को यह कहते हुए नजरअंदाज कर दिया कि यह अवैध है।

ED का मामला है कि कुछ निजी कंपनियों को थोक व्यापार में 12 प्रतिशत का लाभ देने की साजिश के तहत उत्पाद शुल्क नीति लागू की गई। हालांकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनटों में ऐसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।

केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा साजिश रची गई।

एजेंसी के मुताबिक, नायर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया की ओर से काम कर रहे थे।

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