'जघन्य अपराधों में अन्वेषण और चार्जशीट दाखिल करने में देरी, जांच एजेंसी की छवि के लिए ठीक नहीं': कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार (9 जून) को आपराधिक मामलों की अन्वेषण में देरी के संबंध में स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि जघन्य अपराधों में अन्वेषण और चार्जशीट दाखिल करने में देरी, जांच एजेंसी की छवि के लिए ठीक नहीं है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार 999 मामले ऐसे हैं जहां विभिन्न कानूनों के अनुसार समय के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं की गई हैं। कुछ मामले तो एक दशक से भी पुराने हैं।
पूरा मामला
जलपाईगुड़ी पीठ द्वारा पारित 29 जनवरी, 2021 के एक आदेश के अनुसार पश्चिम बंगाल राज्य के आपराधिक जांच विभाग से सूचना प्राप्त हुई थी, जिसे मुख्य न्यायाधीश (कार्यवाहक) के समक्ष रखा गया। जनहित याचिका के आधार पर मामले की सुनवाई के दौरान कहा गया कि जघन्य अपराधों में अन्वेषण और चार्जशीट दाखिल करने में देरी, जांच एजेंसी की छवि के लिए ठीक नहीं है।
कोर्ट का अवलोकन
कोर्ट ने कहा कि समय के भीतर चार्जशीट दाखिल न करने के निम्नलिखित कारण बताए गए हैं;
-अन्वेषण लंबित होना
-विभिन्न प्रयोगशालाओं से रिपोर्ट प्राप्त न होना
-अभियोजन की मंजूरी
-आरोपी की गिरफ्तारी
-विशेषज्ञों की राय
-प्रासंगिक दस्तावेजों आदि को इकट्ठा करना।
कोर्ट ने इस पर महाधिवक्ता किशोर दत्ता को पश्चिम बंगाल राज्य के आपराधिक जांच विभाग से प्राप्त जानकारी का अध्ययन करने और अदालत को यह बताने के लिए कहा कि क्या कोई अन्य मामले हैं जहां समय के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं किए गए हैं।
पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य में विभिन्न प्रयोगशालाओं में उपलब्ध बुनियादी ढांचे के संबंध में इस तथ्य के संदर्भ में अवगत कराया जाए कि परीक्षण सुविधाएं ऐसी होनी चाहिए जहां रिपोर्टिंग में देरी न हो जिसके परिणामस्वरूप चार्जशीट समय पर दाखिल हो सके और किसी मामले की अन्वेषण में देरी न हो।
पीठ ने यह भी कहा कि बुनियादी ढांचे में बदलाव करने की आवश्यकता है। इसके लिए एक योजना न्यायालय के समक्ष रखा जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि,
"जब कभी भी स्वीकृति के अभाव में चार्जशीट दाखिल नहीं किया जाता है, तो इसके कारण और संबंधित अधिकारी जो अभियोजन के लिए मंजूरी नहीं देने के लिए फाइल को अपने पास रखे है, उसे न्यायालय के समक्ष रखा जाना चाहिए।"
कोर्ट ने अंत में कोर्ट के रजिस्टर जनरल को उन मामलों के संबंध में पश्चिम बंगाल राज्य की सभी अदालतों से जानकारी एकत्र करने का निर्देश दिया, जिनमें कानून के अनुसार समय के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं किए गए हैं।
कोर्ट के समक्ष सूचना को अगली सुनवाई की तारीख से पहले जिलावार सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
मामले को 28 जून, 2021 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।