करंट से मौत: तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा, बिजली विभाग की लापरवाही हो या ना हो परिजनों को मुआवजा देना उचित
तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक अपील में करंट के कारण मरे एक व्यक्ति के परिजनों को मुआवजे के भुगतान के लिए निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की।
निचली अदालत ने मध्य प्रदेश बिजली बोर्ड बनाम शैल कुमा और अन्य (2002) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा, "बिजली विभाग की देनदरी बहुत ही सख्त है, और भले ही विभाग की ओर से कोई लापरवाही न हो, वे मौत के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी थे।"
संक्षिप्त तथ्य
वाद में अभियोगी मृतक की पत्नी और बच्चे हैं। मृतक खेत में टूट कर गिरे लो टेंशन लाइन लाइव तार पर पैर पड़ने से दुर्घटना का शिकार हो गया था। वह काफी हद तक जल गया था और बेहोश हो गए। मृतक की इलाज के दरमियान मौत हो गई।
प्रतिवादी एपी स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने कहा कि उन्होंने लाइनों और ट्रांसमिशन सिस्टम का सावधानी से मेंटनेंस किया था। 1996 की दरम्यानी रात को तेज हवा चली थी, जिसके कारण निजामाबाद से बसर तक 33KV ट्रांसमिशन लाइन टूट गई, हालांकि वह जमीन या किसी तटस्थ बिंदु को नहीं छू पाई थी और हवा में लटकी हुई थी।
चूंकि तार टूटने का कोई संकेत नहीं था, विभाग लाइन का निरीक्षण और सुधार नहीं कर सका। तार न तो सड़क पर, न ही गाड़ी की पटरी पर, न ही किसी सार्वजनिक स्थान पर लटका हुआ था। उक्त मृतक लापरवाही बरत रहा था और सीधे प्रभाव से बच सकता था।
निचली अदालत ने 6% प्रतिवर्ष की दर से 1,88,000 रुपये का मुआवजा दिया। उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर विद्युत विभाग ने अपील की क्योंकि उनकी ओर से कोई लापरवाही नहीं की गई थी।
फैसला
जस्टिस पी श्री सुधा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने मध्य प्रदेश बिजली बोर्ड (सुप्रा) में में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह माना गया कि "बिजली बोर्ड किसी भी लापरवाही के बावजूद मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, तब जबकि सड़क पर पड़े बिजली के तार के संपर्क में आने के कारण एक व्यक्ति की मौत हो जाती है।"
उपरोक्त उद्धरण के मद्देनजर, ट्रायल कोर्ट ने यह नोट किया कि विभाग यह साबित करने में विफल रहा कि घटना के समय भारी तूफान और बारिश थी।
करंट की चपेट में आने से मृतक की मौत हो जाने से उसकी पत्नी व बच्चे बेसहारा हो गए। इसलिए, अदालत ने कहा कि मुकदमे में वादी को सही मुआवजा दिया गया था और निचली अदालत के आदेश की पुष्टि करते हुए अपील को जुर्माने के साथ खारिज कर दिया गया।
केस टाइटल: अध्यक्ष, एपीएसईबी, प्रतिवादी बनाम श्रीमती रजिया बेगम