खतरनाक स्टंट: मद्रास हाईकोर्ट ने बाइकर से ट्रॉमा वार्ड में मरीजों की मदद करने और लापरवाह ड्राइविंग के खिलाफ इंस्टाग्राम पर वीडियो अपलोड करने का निर्देश दिया
सड़क पर खतरनाक स्टंट करने के आरोपी 22 वर्षीय एक बाइकर को अग्रिम जमानत देते हुए, मद्रास हाईकोर्ट उसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर लापरवाह ड्राइविंग के खिलाफ एक वीडियो अपलोड करने और तीन सप्ताह के लिए राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल के ट्रॉमा वार्ड के ड्यूटी डॉक्टर के पास रिपोर्ट करने का निर्देश दिया।
जस्टिस एडी जगदीश चंडीरा ने आरोपी को राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल में ड्यूटी डॉक्टर को रिपोर्ट करने और ट्रॉमा वार्ड के वार्ड बॉयज को मंगलवार से शनिवार सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच तीन सप्ताह तक मरीजों की देखभाल करने में मदद करने का आदेश दिया।
अदालत ने कहा, "वह ट्रॉमा वार्ड में अपने अनुभव के बारे में ड्यूटी डॉक्टर को रोजाना एक पेज की रिपोर्ट भी सौंपेंगे और उसके बाद तीन सप्ताह के बाद डीन उनकी रिपोर्ट को इस अदालत को भेजेंगे।"
यह देखते हुए कि आरोपी के इंस्टाग्राम पर 40,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं, अदालत ने उसे अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर "लापरवाही से गाड़ी चलाने के खिलाफ, शराब के नशे में गाड़ी चलाने के खिलाफ और ड्राइविंग के दरमियान हेलमेट और सीट बेल्ट पहनने के लिए जोर देने" पर एक वीडियो अपलोड करने के लिए कहा।
आरोपी को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया कि भविष्य में वह इस तरह के कृत्यों में शामिल नहीं होगा, और ट्रैफिक सिग्नल पर पैम्फलेट वितरित करेगा, जिसमें "लापरवाही से ड्राइविंग के खिलाफ, शराब के नशे में गाड़ी चलाने के खिलाफ और ड्राइविंग के दौरान हेलमेट और सीट बेल्ट पहनने के लिए जोर देने का जागरूकता संदेश होगा। "
पैम्फलेट वितरण तेनामपेट-माउंट रोड जंक्शन सिग्नल पर प्रत्येक सोमवार को सुबह 9.30 बजे से 10.30 बजे तक और शाम 5.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक, आदेश के अनुसार तीन सप्ताह की अवधि तक किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि आरोपी, जो एक युवा बाइकर है और इंस्टाग्राम पर भी एक्टिव है, उसने लापरवाही से गाड़ी चलाकर ड्राइवरों और पैदल चलने वालों में डर और दहशत पैदा किया। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता की उम्र को ध्यान में रखते हुए कहा कि अगर उसे गिरफ्तार किया जाता है और जेल भेजा जाता है, तो इससे उसके भविष्य और करियर पर असर पड़ेगा।
कोर्ट ने कहा,
"पूरा प्रकरण सीसीटीवी फुटेज में उपलब्ध है, इस अदालत की राय है कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है और याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों को लागू करके अग्रिम जमानत दी जा सकती है, जो एक तरह से उसे सुधार देगी।"
अदालत ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किए गए कुछ सह-आरोपियों को जमानत दे दी गई है।
केस टाइटल: गोटला एलेक्स बिनॉय बनाम आईओपी चेन्नई
केस नंबर: Crl OP 22678 of 2022