वैश्यावृत्ति का सिर्फ ग्राहक होने से कोई व्यक्ति अभियोजन के लिए उत्तरदायी नहीं होगा : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक आपराधिक याचिका दायर करते हुए अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग की। याचिकर्ता ने प्रस्तुत किया कि प्राप्त जानकारी के आधार पर पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध दर्ज किया और जांच करने के बाद आरोप पत्र दायर किया।
याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप यह है कि जिस समय पुलिस ने वेश्यालय (brothel house) पर छापा मारा, उन्होंने वहां याचिकाकर्ता को ग्राहक के रूप में पाया।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वेश्यावृत्ति का ग्राहक किसी भी अपराध के लिए अभियोजन के लिए उत्तरदायी नहीं है, इसलिए उसने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देना न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, अतः याचिकाकर्ता के विरुद्ध उक्त कार्यवाही निरस्त की जाए।
श्री रूपेंद्र सिंह बनाम कर्नाटक राज्य (2021), जेड लूर्डिया नायडू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2014), गोयनका साजन कुमार बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2014) में यह एक स्थापित कानून है कि जो लोग वेश्यालय गए, उनके वेश्यावृत्ति के लिए केवल ग्राहक होने से वे अभियोजन के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।
अतः अदालत ने आपराधिक याचिका को अनुमति दी।
केस शीर्षक: चेन्नुबोइना राज कुमार बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
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