आपराधिक अपील को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है कि आरोपों के खंडन के लिए जोर नहीं डाला गयाः इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा कि एक आपराधिक अपील को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है कि आरोपों के खंडन के लिए जोर नहीं डाला गया था।
जस्टिस अनिल कुमार ओझा की खंडपीठ ने जेजे एक्ट की धारा 101 के तहत अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ दायर एक पुनरीक्षण याचिका की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी की। आरोपी/पुनरीक्षणवादी की अपील को आरोपों के खंडन पर जोर नहीं दिए जाने के आधार पर खारिज कर दिया गया था।
मामला
दरअसल अभियुक्त/पुनरीक्षणवादियों को किशोर न्याय बोर्ड, जिला संभल ने दिसंबर 2020 में धारा 376, 506 आईपीसी के तहत दोषी ठहराया गया था। उक्त आदेश और निर्णय को चुनौती देते हुए, उन्होंने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (बलात्कार मामले और पोक्सो कानून) के समक्ष एक अपील दायर की थी।
हालांकि, अपीलीय अदालत ने नवंबर 2021 में उनकी अपील को खारिज कर दिया और धारा 376, 506 आईपीसी के तहत किशोर न्याय बोर्ड, जिला संभल के आदेश और फैसले की पुष्टि की। इसके बाद, उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की।
हाईकोर्ट के समक्ष, उनके वकील ने तर्क दिया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (बलात्कार मामले और पोक्सो कानून) द्वारा पारित आदेश अवैध था, क्योंकि अपील को पुनरीक्षणवादियों के वकील द्वारा जोर नहीं दिए जाने के आधार पर खारिज कर दिया गया था।
टिप्पणियां
हरियाणा राज्य बनाम जनक सिंह (2013) 9 एससीसी 431 और गुरजंत सिंह बनाम पंजाब राज्य एलएल 2021 एससी 650 के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए, हाईकोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि एक आपराधिक अपील को जोर नहीं दिए जाने के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है।
इस प्रकार, न्यायालय ने पाया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (बलात्कार मामले और पोक्सो एक्ट) के आक्षेपित आदेश को रद्द किया जाना चाहिए और पुनरीक्षण की अनुमति दी जानी चाहिए।
तदनुसार, पुनरीक्षण की अनुमति दी गई और आक्षेपित आदेश को रद्द किया गया। पक्षों को सुनवाई का पर्याप्त अवसर प्रदान करने के बाद मामले को कानून के प्रावधानों के अनुसार निपटाने के लिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (बलात्कार मामले और पोक्सो कानून) को भेज दिया गया।
साथ ही यह भी निर्देश दिया गया था कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (बलात्कार मामले और पोक्सो कानून) तीन महीने की अवधि के भीतर अपील का निपटारा करेंगे, यह देखते हुए कि पुनरीक्षणवादी पहले से ही जेल में हैं और मामला धारा 376 आईपीसी से संबंधित है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद खालिद और पवन कुमार यादव पेश हुए।
केस टाइटल - बिल्लू @ आनंदी और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य
केस सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 40